बेंगलुरु / मांड्या : गन्ना किसानों की शिकायतों का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। किसानों का आरोप है की, उनकी उपज को चीनी मिलों में कम तौला गया था और सरकार द्वारा निर्धारित उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को कम करने के लिए चीनी रिकवरी रेट को जानबूझकर वास्तविक से कम दिखाया गया था।
द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सदस्य सचिव के रूप में मांड्या के कृषि के संयुक्त निदेशक के साथ सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति, मांड्या जिले की सभी पांच चीनी मिलों का दौरा करेगी और जिले में हाल ही में आयोजित शिकायत बैठक में किसानों द्वारा की गई दोनों शिकायतों की जांच करेगी। लीगल मेट्रोलॉजी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि, वे चीनी मिलों के दौरे के दौरान विशेषज्ञों की टीम की सहायता करें ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या गन्ने की तौल कम हो रही है और किसानों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। लीगल मेट्रोलॉजी विभाग के सहायक नियंत्रक को विशेषज्ञों की टीम को तकनीकी सहायता देने के लिए कहा गया है। इसी प्रकार, समिति यह भी पता लगाएगी कि क्या चीनी मिल प्रबंधन जानबूझकर चीनी रिकवरी रेट को वास्तविक से कम दिखा रहा था जैसा कि किसानों ने आरोप लगाया है।
केंद्र सरकार द्वारा 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी रेट के साथ प्रति टन गन्ने का एफआरपी ₹3,150 तय करने के बाद, किसानों ने आरोप लगाया है कि, चीनी मिल प्रबंधन जानबूझकर रिकवरी रेट को वास्तविक से कम दिखा रहा है, जिससे किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा है। कृषि के संयुक्त निदेशक (मांड्या) के अलावा, सात सदस्यीय समिति में संयुक्त निदेशक, खाद्य और नागरिक आपूर्ति (मांड्या), संयुक्त निदेशक, उद्योग और वाणिज्य (मांड्या), सहायक नियंत्रक, कानूनी माप विज्ञान विभाग (मांड्या) आदि शामिल है। 9 अगस्त को मांड्या के उपायुक्त डॉ. कुमारा द्वारा जारी एक आधिकारिक नोट के अनुसार, विशेषज्ञ टीम को मांड्या में सभी पांच चीनी मिलों का दौरा करने और तीन सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।