नई दिल्ली: बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी, चावल, गेंहू जैसे अत्यावश्यक खाद्यान्न पर अपनी पैनी नजर बनाकर रखी है। इतना ही नहीं अब देश में आने वाले त्योहारी सीजन में बढ़ती मांग के चलते चीनी के दाम न बढे इसकी तैयारी में जुट गई है।
देश के जनता को महंगाई का सामना ना करना पड़े इसके लिए सरकार हमेशा कई कदम उठाती रहती है। चीनी के मामलें में भी सरकार ने इसके दाम न बढे यह सुनिश्चित किया है और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। चीनी के दाम स्थिर रहे इसके लिए सरकार ने चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और हालही में चीनी मिलों को चीनी के स्टॉक लिमिट और आवंटित मासिक कोटे से चीनी बिक्री का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही चीनी बिक्री के सही आंकड़े देने को कहा है। और इसके बाद भी दाम स्थिर न रहे तो उद्योग के सूत्र का कहना है की सरकार दाम स्थिर रखने के लिए चीनी पर स्टॉक लिमिट लगा सकती है।
सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत चीनी मिलों पर मासिक स्टॉक होल्डिंग सीमा लगाई है। ताकि देश में चीनी की कीमतें स्थिर बनी रहें। चीनी निदेशालय के निदेशक ने इस सीमा का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया कि यह देखा जा रहा है कि कुछ चीनी मिलें मासिक स्टॉक होल्डिंग सीमा का पालन नहीं कर रही हैं और वे अपने मासिक कोटा से या तो अधिक या काफी कम मात्रा (90 फीसदी से कम) में चीनी बेच रही हैं। इस निर्देश के बाद घरेलू चीनी बाजार पर दबाव पड़ने का अनुमान है।
‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए एक चीनी उद्योग के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की, यदि दाम थोड़े से भी बढ़ते है तो सरकार चीनी व्यापारी, बड़े खरीददारों पर स्टॉक लिमिट जैसे सख्त कदम उठा सकती है।
सरकार के मुताबिक, यदि किसी चीनी मिल को किसी विशेष महीने के लिए अपने मासिक कोटा की पूरी मात्रा बेचने में कठिनाई या असमर्थता हो रही है, तो मिल द्वारा हर महीने के 15 वें दिन से पहले इसकी सूचना दी जाएगी, जिसमें बेची जाने वाली संभावित मात्रा का स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी चीनी मिल को 100 MT का मासिक बिक्री कोटा आवंटित किया गया है, जिसमें से मिलें केवल 80 MT की बिक्री का अनुमान लगा रही हैं। इसकी सूचना निदेशालय को दी जाए। सरकार के अनुसार, यदि कोई मिल उस कोटा को सूचित करने में विफल रहती है जिसे वह बेचने की उम्मीद करती है और आवंटित मात्रा को नहीं बेचती है, तो आवंटित मात्रा और बेची गई मात्रा में अंतर की गणना करके अगले महीने कोटा से कम कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, जो मिल एक महीने के दौरान 100 MT कोटा में से केवल 80 MT बेचती है, और अगले महीने में उसके कोटा की पात्र मात्रा 120 MT है, जिसके लिए कोटा आवंटन विचाराधीन है, अगले महीने के लिए उसका कोटा प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और पात्र मात्रा का 80 प्रतिशत अर्थात 96 MT रहेगा।
केंद्र सरकार ने सभी चीनी मिलों से स्टॉक लिमिट और आवंटित मासिक कोटे से चीनी बिक्री आदेशों का पालन करने और NSWS पोर्टल में डेटा की सटीक जानकारी देने का सख्त निर्देश दिया है। चीनी मिलों को भेजे पत्र में डीएफपीडी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि, उसने देखा है कि कुछ चीनी मिलें मासिक स्टॉक होल्डिंग सीमा का पालन नहीं कर रही है। वे या तो अपने मासिक कोटा से अधिक या काफी कम मात्रा में (90% से कम) चीनी बेच रहे है।
DFPD ने दावा किया की, चीनी मिलों द्वारा मासिक स्टॉक सीमा से इस तरह का विचलन घरेलू चीनी बाजार को विकृत कर सकता है और चीनी उद्योग के हित में सरकार द्वारा लागू किए गए व्यापक उपायों को बाधित कर सकता है। मासिक रिलीज कोटा से अधिक चीनी मात्रा की बिक्री कानून का उल्लंघन है। अनुपालन न करने वाली मिलों के खिलाफ वस्तु अधिनियम और उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही चीनी बिक्री के सही आंकड़े देने को कहा है।ऐसा नहीं करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
AgriMandi.live के मुताबिक, चीनी की कीमतों की बात करें तो महाराष्ट्र में एस-ग्रेड चीनी की एक्स-मिल कीमत 3,500 रुपये से 3,550 रुपये के बीच है, जबकि उत्तर प्रदेश में एम-ग्रेड चीनी की कीमत 3,650 रुपये से 3,710 रुपये के बीच है।