समस्तीपुर, बिहार: पिछले कुछ सालों से गन्ने के खेती के लिए मजदूरों की कमी बड़ी समस्या बन गई है। साथ ही मजदूरी बढ़ने से किसानों की लगत में बड़ा इजाफा हुआ है। लेकिन अब मजदूरों की कमी और महंगाई दोनों से किसानों को राहत मिलने के आसार नजर आ रहे है, क्योंकि गन्ना फसल से किट हटाने के लिए अब ड्रोन का इस्तेमाल होगा। ड्रोन के इस्तेमाल से लागत में काफी कमी आएगी, और काम भी जल्दी निपट जायेगा।
आपको बता दे की, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि प्रशासन ने इसकी तैयारी कर ली है।
लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने कल्याणपुर स्थित विवि के प्रक्षेत्र में रविवार को इसका ट्रायल किया। कुलपति डॉ. पीएस पांडेय, डीन डॉ. अम्बरीश कुमार, निदेशक डॉ. अनिल कुमार सिंह आदि के मार्गदर्शन में विवि के ईख अनुसंधान संस्थान (पूसा) के गन्ना वैज्ञानिक व मुख्य अन्वेषक डॉ. डीएन कामत, पौधा रोग अन्वेषक डॉ. मो. मिन्नातुल्लाह ने गन्ने की फसल में कार्बेंडाजिम, थिओफनेट मिथाइल एवं प्रोपीकोनाजोल फफूंदनाशक दवाओं के मिश्रण का छिड़काव किया।
वैज्ञानिक के अनुसार, इसे 15 दिनों बाद दोहराया जायेगा। इसेस फल बनाने में विवि के कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय के फार्म मशीनरी के वैज्ञानिक डॉ. पीके प्रणव व डॉ. संजय कुमार की अहम भूमिका रही। ड्रोन के सहयोग से कीटनाशक, फफूंदनाशकों व तृणनाशक दवाओं का छिड़काव आसान व लाभकारी साबित होगा।ड्रोन से गन्ना के फसलों में छिड़काव के सफल होने पर इसे अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जायेगा।