नई दिल्ली : पैराब्वाइल्ड राइस (parboiled rice) पर भारत ने 20% निर्यात शुल्क लगाया है।गैर-बासमती सफेद चावल और टूटे चावल की शिपिंग पर पहले लगाए गए प्रतिबंध के बाद अब ये एक्शन लिया गया है। यह फैसला चावल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए लिया गया है।केंद्र सरकार ने चावल की कीमतों को स्थिर करने और घरेलू बाजार के भीतर इन्वेंट्री को मजबूत करने के लिए ये कदम उठाया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि, केंद्र सरकार ने उबले चावल पर निर्यात शुल्क 20 फीसदी लागू कर दिया है। यह आदेश 25 अगस्त से लागू किया जा रहा है, जो 16 अक्टूबर 2023 तक प्रभावी रहेगा।बंदरगाहों में पड़े उबले चावल पर शुल्क छूट उपलब्ध होगी।यानी ऐसे चावल भंडार जिन्हें LEO (लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर) नहीं दिया गया है और 25 अगस्त 2023 से पहले वैध एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) सपोर्टेड हैं उन पर एक्सपोर्ट ड्यूटी आदेश लागू नहीं होगा।इसके साथ ही, भारत ने अब सभी प्रकार के गैर-बासमती चावल पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो देश के कुल चावल निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़ों से पता चला है कि गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात बढ़कर 15.54 लाख टन हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में दर्ज 11.55 लाख टन से उल्लेखनीय वृद्धि है। निर्यात में इस वृद्धि ने इस आवश्यक खाद्य वस्तु की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए प्रतिबंध लगाने के निर्णय में भूमिका निभाई।
इन उपायों के बीच, भारत में खुदरा या उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में वृद्धि देखी गई है, जो जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि जून में यह 4.87 प्रतिशत थी, जो मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थी।कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत का चावल उत्पादन 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में बढ़कर 135.54 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष में 129.47 मिलियन टन था।