पुणे: बारिश की कमी, किट का हमला और गन्ने की पशुओं के लिए चारा बिक्री आदि कारणों से आगमी सीजन में महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन में गिरावट होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसलिए उम्मीद है कि, इस साल सीजन देर से शुरू होगा। मध्य नवंबर के बाद राज्य में पेराई में तेजी देखने को मिल सकती है। अभी तक किसी भी फैक्ट्री ने सीजन जल्दी शुरू करने की मांग नहीं की है।
एग्रोवन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, चीनी उद्योग के सूत्रों का कहना है कि, मिलों को पूरी क्षमता के साथ चलाने के लिए परिपक्व गन्ने की जरूरत है, और इसलिए पेराई सीजन नवंबर से शुरू हो सकता है। हालाँकि, कुछ गिनी चुनी चीनी मिलें अक्टूबर में पेराई शुरू करने की संभावना है।
चीनी आयुक्तालय की ओर से राज्य में गन्ना क्षेत्रफल और संभावित उत्पादन को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है। सीजन शुरू करने का फैसला मंत्रिस्तरीय समिति की बैठक में लिया जाएगा। पिछले साल की तुलना में इस साल गन्ना क्षेत्र में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो रही है। इस साल असली चिंता उत्पादन में कमी को लेकर है।
पश्चिमी महाराष्ट्र के जिन जिलों में पानी की प्रचुर आपूर्ति है, वे भी पानी के लिए तरस रहे है। चूंकि सांगली जैसे जिलों में पानी कम हो रहा है, इसलिए प्रशासन के लिए कोयना बांध से पानी छोड़ने का समय आ गया है। जो जिले गन्ने के लिए मशहूर हैं, वे भी पानी की कमी से जूझ रहे है। खासतौर पर गन्ने को बड़ी मार पड़ने की संभावना है, क्योंकि जुलाई के पंद्रह दिनों को छोड़कर बरसात के मौसम के ढाई महीने सूखे रहे है।
पश्चिमी महाराष्ट्र के साथ-साथ विदर्भ और मराठवाड़ा में भी गन्ना उत्पादक किसानों को बारिश ने निराश किया है। इससे उत्पादन कितना घटेगा, इसका अनुमान लगाना संभव नहीं है। वर्तमान समय में सभी चीनी मिलों के कृषि विभाग योजना को लेकर असमंजस में है। लेकिन ज्यादातर जगहों पर उत्पादन में गिरावट को लेकर चिंता है।