बेंगलुरु : राज्य के कई जिलों में रुक-रुक कर बिजली आपूर्ति के कारण सिंचाई प्रभावित हो रही है, और किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है।राज्य के 44,000 जल पंप सेटों में से अधिकांश इस कारण से केवल आंशिक रूप से ही फसलों की सिंचाई कर पा रहे है। राज्य में 60 प्रतिशत वर्षा की कमी और बिजली आपूर्ति में गडबडी से बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद हो सकती है।राजस्व विभाग के अनुसार, पहले से ही 29 जिलों के 113 तालुका सूखे का सामना कर रहे है।
राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सभी सिंचाई स्रोतों में, शुद्ध सिंचित क्षेत्र में बोरवेल का हिस्सा सबसे अधिक (43.99 प्रतिशत) है। चामराजनगर जिले के किसान महादेवस्वामी एच मुक्कली के अनुसार, हमें पंपसेट के उपयोग के लिए कम से कम सात घंटे बिजली मिलनी चाहिए, लेकिन वास्तव में, हमें यह तीन से चार घंटे मिलती है। महादेवस्वामी अपने पास मौजूद 10 एकड़ जमीन में से आधे से भी कम की सिंचाई कर पाते है। गन्ना, अरहर दाल और मक्का सहित फसलें खतरे में हैं। चित्रदुर्ग के किसान नेता इचघट्टा सिद्धवीरप्पा का कहना है कि, यह पूरे राज्य में एक आम समस्या है। हमें संचयी रूप से 4-5 घंटे बिजली मिलती है, लेकिन इसे भी दिन की पाली और रात की पाली के बीच विभाजित किया जाता है।
कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार पांडे के अनुसार, राज्य स्तर पर, बिजली आपूर्ति में कोई कमी नहीं थी क्योंकि कमी होने पर बिजली खरीदी जाती है। उन्होंने आगे कहा, जिला स्तर पर, बिजली की सोर्सिंग अलग-अलग हो सकती है, जिससे स्थानीय रुकावटें हो सकती है। जहां तक संभव हो, हम 7 घंटे बिजली प्रदान कर रहे है।पावर ग्रिड पर भार कम करने के लिए बिजली आपूर्ति को दिन और रात की पाली में विभाजित किया गया है।
उत्पादन में कमी बारिश की कमी से खेती का पैटर्न पहले से ही बुरी तरह प्रभावित है। जबकि कृषि विभाग ने खरीफ सीजन में 82.35 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती करने का लक्ष्य रखा है, राज्य ने अब तक केवल 56.7 लाख हेक्टेयर (69 प्रतिशत) में खेती की गतिविधियां शुरू की है। अधिकारियों का कहना है कि, कर्नाटक को अधिक से अधिक अगस्त या सितंबर तक बुआई गतिविधियां पूरी कर लेनी चाहिए थी।
जिन किसानों ने बाई की है, उन्होंने पहले ही बारिश की कमी और अपर्याप्त बिजली आपूर्ति के कारण फसल के नुकसान की सूचना दी है। कलबुर्गी जिले के किसान रेवप्पा उप्पिन का कहना है कि उनकी अरहर की फसल पहले से ही सूख रही है। उनका कहना है, इससे निकट भविष्य में राज्य में फसल उत्पादन और खाद्य आपूर्ति पर असर पड़ेगा।कृषि विभाग के निदेशक जी टी पुथरा कहते हैं, वर्षा की कमी, शुद्ध बोए गए क्षेत्र में कमी और कर्नाटक के 29 जिलों में गंभीर नमी तनाव के परिणामस्वरूप फसल उत्पादन में कमी आएगी।