उत्तर प्रदेश में गन्ने की औसत उपज बढ़ाए जाने पर फोकस

आयुक्त, गन्ना एवं चीनी उ.प्र. प्रभु एन. सिंह की अध्यक्षता में प्रदेश के गन्ने की औसत उपज बढ़ाये जाने एवं किस्मीय संतुलन हेतु विकास कार्यक्रमों को लागू किये जाने के लिए मध्य एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश हेतु विकास कार्यक्रमों पर चर्चा हेतु भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान एवं उ.प्र. गन्ना शोध परिषद शाहजहॉपुर के वैज्ञानिकों/विषय विशेषज्ञों, क्षेत्रीय  उप गन्ना आयुक्त एवं जिला गन्ना अधिकारी, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक, चीनी मिल के गन्ना विकास से जुड़े प्रबन्धकों व गन्ना किसानों के साथ बैठक सम्पन्न हुई।
बैठक में प्रदेश में गन्ना कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु विभागीय कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर हुए मंथन में पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों, गन्ना विभाग एवं चीनी मिलों के अधिकारियों तथा वैज्ञानिकों के साथ बैठक कर गन्ना आयुक्त ने विचार-विमर्श किया गया।
इसी क्रम में गन्ने की किस्मीय संतुलन, बढ़ती श्रम लागत के दृष्टिगत गन्ना खेती के मशीनीकरण, मृदा स्वास्थ्य हेतु मृदा परीक्षण कर संस्तुत मात्रा में उर्वरकों एवं कार्बनिक खाद के प्रयोग, गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता, वाइड रो स्पेसिंग तथा सहफसली खेती एवं पेड़ी फसल के समुचित प्रबन्धन पर चर्चा हुई।
बैठक में लाल सड़न रोग के प्रभावी नियंत्रण हेतु को.0238 किस्म के विस्थापन एवं प्रदेश के लिए अवमुक्त नवीन गन्ना किस्मों की बुआई करने, गहरी जुताई द्वारा खेत की तैयारी, पेड़ी प्रबन्धन हेतु कटाई के तुरन्त बाद रैटून मैनेजमेन्ट डिवाइस(आर.एम.डी.) के उपयोग ट्रेंच प्लान्टर से वाइड रो स्पेसिंग गन्ना बुआई, ड्रिप इरीगेशन अथवा फैरो इरीगेशन द्वारा सिंचाई जल की बचत, मृदा कार्बन का स्तर बढ़ाने हेतु ढैंचा की ग्रीन मैन्योरिंग एवं गन्ने की बंधाई को आवश्यक बताया गया। इसी के साथ किसी एक किस्म के मोनोकल्चर के स्थान पर कम से कम 04-05 किस्मों की बुआई कर किस्मीय संतुलन बनाने तथा बीज की बचत हेतु सिंगल बड से बुआई करने एवं महिला समूहों के माध्यम से बीज का त्वरित उत्पादन बढ़ाने के लिए सुझाव दिये गये।
गन्ना आयुक्त द्वारा बड़ी गोष्ठियों के स्थान पर ग्राम स्तरीय छोटी गोष्ठियां करने, पम्पलेट वितरण एवं चौपाल के माध्यम से किसानों विशेषकर छोटे गन्ना किसानों को रेड-राट बीमारी से नुकसान, उन्नत किस्मों को अपनाने से फायदे एवं तकनीकि गन्ना खेती के विषय में किसानों को जागरूक किये जाने के निर्देश दिये गये।
वैज्ञानिकों द्वारा प्रदेश के लिए अवमुक्त नहीं होने वाली लाल सड़न रोग से ग्राही गन्ना किस्मों यथा-को.11015, को.पी.बी.95 आदि गन्ना किस्मों को प्रदेश में बुआई हेतु नहीं अपनाने का सुझाव देते हुए अनधिकृत रूप से इसको बढ़ावा देने वाले लोगों के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की गयी। जिसके क्रम में सक्षम स्तर से प्रदेश के लिए अवमुक्त होने के पूर्व किसी बाहरी गन्ना किस्म का संवर्धन नहीं करने के निर्देश दिये गये तथा उल्लंघन करने वालों पर प्लाण्ट क्वारन्टाइन के तहत कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये।
वैज्ञानिकों द्वारा यह अवगत कराया गया कि प्रदेश में लाल सड़न रोग का प्रमुख स्ट्रेन सी.एफ.13 है जो प्रदेश में को.0238 गन्ना किस्म को भयंकर रूप से प्रभावित कर रहा है। को.11015 प्रदेश में अवमुक्त तो है नहीं, साथ ही यह किस्म गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर के क्षेत्रीय केन्द्र करनाल में सी.एफ.13 से ग्राही भी पायी गई है। उक्त के अतिरिक्त को.पी.बी.95 गन्ना किस्म भी प्रदेश के लिए अवमुक्त नहीं है और यह किस्म भी लाल सड़न रोग से ग्राही पायी गई है। यदि इन किस्मों का आच्छादन प्रदेश में बढ़ता है तो को.0238 गन्ना किस्म से भी भयंकर परिणाम हो सकते हैं और लाल सड़न रोग का प्रसार तेजी से हो सकता है, जो प्रदेश के चीनी एवं गन्ना उत्पादन के स्थायित्व को प्रभावित करेगा। अतः इसकी खेती वैज्ञानिक संस्तुति एवं सक्षम स्तर के अनुमोदन के बिना नहीं किये जाने के निर्देश दिये गये।

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