पुणे: राज्य सरकार ने 30 अप्रैल 2024 तक महाराष्ट्र से बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को रद्द करने का फैसला किया है। सरकार के फैसले के खिलाफ किसान संगठनों ने दबाव बनाया था, और इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार द्वारा निर्यात प्रतिबंध के फैसले को सात दिन के भीतर रद्द कर दिया गया है। सहकारिता एवं विपणन विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश कुमार ने अधिसूचना रद्द करते हुए आदेश जारी कर दिया है।
राज्य में पिछले दो महीने से अपेक्षित बारिश नहीं हुई है। इसका सीधा असर गन्ने की वृद्धि पर पड़ा है। इससे गन्ने का उत्पादन और घटने का अनुमान है। पडोसी कर्नाटक भी सूखे की समस्या से जूझ रहा है, और सीमावर्ती इलाकें मिलें महाराष्ट्र के गन्ना फसल पर नजर गड़ाए बैठी है। इस पृष्ठभूमि में राज्य के अपर मुख्य सचिव राजेश कुमार ने 13 सितंबर 2023 को एक अधिसूचना जारी कर महाराष्ट्र से बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
अधिसूचना में क्या कहा था ?
अधिसूचना में कहा गया था कि, राज्य में सीजन 2023-24 में गन्ना उत्पादन और चीनी उत्पादन में गिरावट की संभावना है, और यह बात राज्य के चीनी आयुक्त ने राज्य सरकार के ध्यान में लाई है। और 2023-24 में चीनी उद्योग को पूरी क्षमता से चलाने के लिए बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर प्रतिबंधित करना जरूरी है। तदनुसार, अब, गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 6 की उप-धारा 1 के खंड (एफ) के साथ-साथ उक्त आदेश के खंड 11 की उप-धारा 1 (बी) के प्रावधान के अनुसार, निर्यात 30 अप्रैल, 2024 तक बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर रोक लगा दी है।
यह आदेश जारी करने के बाद स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी, रयत क्रांति पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व कृषि राज्य मंत्री सदाभाऊ खोत समेत गन्ना किसानों ने कड़ा विरोध किया था। सदाभाऊ खोत ने दो दिन पहले पुणे में सहकारिता मंत्री दिलीप वलसे-पाटिल से मुलाकात की थी और गन्ना निर्यात प्रतिबंध आदेश रद्द करने की मांग की थी। मंत्री वलसे-पाटिल ने दो दिनों के भीतर आदेश रद्द करने का वादा किया था। तदनुसार, सहकारिता विभाग ने बुधवार शाम को एक आदेश जारी कर प्रकाशित निर्यात प्रतिबंध अधिसूचना को रद्द कर दिया।