रेड रॉट (लाल सड़न रोग), जिसे आमतौर पर “गन्ने की फसल का कैंसर” कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के प्रमुख खेती वाले क्षेत्रों में दिखाई देने लगी है, जिससे किसान काफी चिंतित है। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, मोरादाबाद, बिजनोर और अमरोहा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
यूपी गन्ना विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह बीमारी तब होती है जब एक विशेष किस्म को लंबे समय तक बोया जाता है और बदला नहीं जाता है। यह रोग तब बढ़ता है जब किसान बीज और मिट्टी का उचित उपचार नहीं करते हैं।
विशेष रूप से, राज्य के बड़ी तादाद में गन्ना किसान ‘CO 0238 किस्म’ की खेती करते हैं, जिसकी सबसे अधिक मांग है क्योंकि इसकी उपज सामान्य से अधिक है। लेकिन इसके लंबे समय तक उपयोग से यह बीमारी हुई, जिससे न केवल गन्ना विकास रुक गया, बल्कि फसल को भी अपूरणीय क्षति हुई।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, यूपी के अतिरिक्त गन्ना आयुक्त वीके शुक्ला ने शनिवार को कहा की वर्तमान में, राज्य में 29 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर गन्ने की खेती होती है। हाल ही में, हमने लखीमपुर, पीलीभीत, मोरादाबाद और बिजनौर जिलों में लाल सड़न पाया है और एक जागरूकता अभियान चलाया है। हम किसानों से अपील कर रहे हैं कि वे बीज और मिट्टी उपचार के बाद ही गन्ना बोएं। किसानों को एक विशेष किस्म पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इस बार, ‘CO 0238 किस्म’ में लाल सड़न का पता चला है, जो मुख्य रूप से राज्य के किसानों द्वारा उगाई जाती है।