जालंधर (पंजाब): जालंधर जिला प्रशासन ने इस सीजन के दौरान एक्स-सीटू प्रबंधन के माध्यम से 2.36 लाख मीट्रिक टन धान की पराली (paddy stubble) का प्रबंधन करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। भोगपुर चीनी मिल को जालंधर से 50,000 मीट्रिक टन धान की पराली मिलेगी। इसके अलावा 1.10 लाख मीट्रिक टन ईंट भट्टों द्वारा ले जाया जाएगा, जबकि 75,000 मीट्रिक टन का उपयोग बॉयलरों द्वारा किया जाएगा।
जालंधर में अब तक पराली जलाने की आठ घटनाएं दर्ज की गई है। विभिन्न विभागों के बीच हुई चर्चा के अनुसार, फसल के मौसम के दौरान उत्पन्न होने वाली अनुमानित 2.36 लाख मीट्रिक टन धान की पराली को भोगपुर चीनी मिल, ईंट भट्टों और बॉयलरों को ईंधन के रूप में उपभोग करने के लिए आपूर्ति की जाएगी। डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने कहा कि, प्रशासन पहले ही विभिन्न उद्योगों के प्रबंधन के साथ विचार-विमर्श कर चुका है, जहां पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, जालंधर जिले में लगभग 60 बेलर हैं, जो तीन से पांच क्विंटल की गांठें बना सकते हैं। ये गांठें जिले के किसानों या कृषि समूहों द्वारा सीधे उद्योगों को बेची जाएंगी। सारंगल ने कहा कि, भोगपुर चीनी मिल को जालंधर से 50,000 मीट्रिक टन धान की पराली मिलेगी, इसके अलावा 1.10 लाख मीट्रिक टन ईंट भट्टों द्वारा ले जाया जाएगा, जबकि 75,000 मीट्रिक टन का उपयोग बॉयलरों द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, लगभग 9.47 लाख मीट्रिक टन धान की पराली का इन-सीटू, एक्स-सीटू और अन्य तरीकों से प्रबंधन किए जाने की उम्मीद है। सारंगल ने एसडीएम को 105 हॉटस्पॉट गांवों पर ध्यान केंद्रित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि इन क्षेत्रों के किसान पराली जलाने का सहारा न लें।