नई दिल्ली : मेयर कमोडिटीज के राहिल शेख ने ‘मनीकंट्रोल’ के साथ बातचीत में कहा की, इस साल 5 मिलियन स्टॉक होने के बावजूद सरकार ने घरेलू बाजारों में चीनी की कीमतों को काफी अच्छी तरह से नियंत्रित रखा। अगर इस सीजन में 6 मिलियन टन से जादा क्लोजिंग स्टॉक होता है, तो सरकार को भी चीनी निर्यात की अनुमति देने में कोई दिक्कत हो सकती है।
राहिल शेख ने कहा, उत्तर प्रदेश में इस सीजन में अब तक 56 चीनी मिलें शुरू हुई है, जबकि महाराष्ट्र में 56-57 और कर्नाटक में 45 मिलें शुरू हुई है। देश में अभी पेराई काफी धीमी चल रही है,15 नवंबर से दिवाली के बाद पेराई गति पकड़ लेगी। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार और ‘इस्मा’ ने ओपनिंग स्टॉक 5.6 मिलियन टन, जबकि कुल चीनी उत्पादन 29 मिलियन टन से 30.5 टन के बीच होने का अनुमान लगाया है। शेख ने कहा, हमारा अनुमान है की, देश में करीब 29.5 मिलियन टन चीनी उत्पादन हो सकता है। ‘इस्मा’ने चीनी खपत का अनुमान 27.8 मिलियन टन लगाया है, जबकि हमारा अनुमान है की, 28.7 मिलियन टन खपत संभव है। एथेनोल के लिए 4 से 4.5 मिलियन टन चीनी का डायवर्सन हो सकता है।
शेख ने कहा, इस सीजन में सरकार द्वारा चीनी निर्यात की अनुमति मिलने की संभावना काफी कम है। पिछले पाच से छह सालों में चीनी निर्यात के माध्यम से भारत ने वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पकड बना ली थी, लेकिन चीनी निर्यात पर रोक लगाने से अपने बने हुए ब्रांड को धक्का लगने की संभावना है और जब हम बाजार में फिर से प्रवेश करने का प्रयास करेंगे, तो उस समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अगर हम 6 मिलियन टन के क्लोजिंग स्टॉक तक पहुँचते है, तो फिर हम सरकार से चीनी निर्यात की गुजारिश कर सकते है।
एथेनॉल मूल्य निर्धारण पर, शेख ने कहा की एक वैज्ञानिक सूत्र होना चाहिए। जैसे-जैसे एफआरपी बढ़ती है, तब उत्पादन की लागत बढ़ने की जरूरत होती है, जो बढ़ती है। मुझे लगता है कि हम सभी जानते हैं कि उत्पादन लागत का 90% हिस्सा और कुछ नहीं बल्कि गन्ना है। तो सभी मानकों के अनुसार, यदि आप 20% सम्मिश्रण प्राप्त करना चाहते हैं, तो हम सभी को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उद्योग को सही मूल्य निर्धारण दिया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अधिक उत्पादन करें। और मुख्य रूप से, जैसा कि मैंने बताया, मुख्य फोकस गन्ना उगाने वाले पक्ष पर भी होना चाहिए। इसलिए अगर हमें ऐसा करना है, तो एथनोल को 20% तक ले जाना होगा। मुख्य महत्वपूर्ण है सही मूल्य निर्धारण और दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि कच्चा उत्पाद हमेशा उपलब्ध रहे।”