कोल्हापुर: पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व वाले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन (एसएसएस) के कार्यकर्ताओं द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के कारण कोल्हापुर में गन्ना पेराई की रफ्तार धीमी हो गई है। प्रदेश में पेराई सत्र आधिकारिक तौर पर 1 नवंबर को शुरू हुआ है। हालांकि, मिलों की ओर से स्वाभिमानी शेतकरी संगठन द्वारा रखी गई मांगें पूरी नहीं की गई है।
राजू शेट्टी पिछले सीजन में पेराई किये गए गन्ने के लिए अतिरिक्त 400 रुपये प्रति टन की मांग कर रहे हैं। साथ ही शेट्टी ने मांग की है कि, चालू सीजन के लिए मिलों को 3,500 रुपये प्रति टन गन्ना मूल्य मिलना चाहिए। वह पिछले छह दिनों से जयसिंगपुर में धरने पर बैठे हैं, लेकिन चीनी मिलों ने अभी तक उनसे संघर्ष विराम के लिए संपर्क नहीं किया है।
कोल्हापुर जिले की शिरोल और हातकणंगले आंदोलन से सबसे अधिक प्रभावित तहसीलें है। सांगली और सतारा जिलों से भी लगभग हर दिन गन्ना परिवहन में बाधा डालने की छिटपुट घटनाएं सामने आ रही है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, चीनी उद्योग विशेषज्ञ, विजय औताडे ने कहा, शिरोल तहसील की सभी पांच चीनी मिलों ने दो सप्ताह बाद भी काम करना शुरू नहीं किया है। हालाँकि, जिले के अन्य हिस्सों में कुछ मिलों ने काम शुरू कर दिया है। हमारे अनुमान के अनुसार, आंदोलन के कारण लगभग 50,000 टन गन्ने की पेराई नहीं हो पा रही है। इसका किसानों और मिलों दोनों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
औताडे ने आगे कहा कि, जैसे-जैसे गन्ना पकने का चरण पार हो गया है, गन्ने का वजन कम होना शुरू हो गया है। किसानों को गन्ने के वजन के आधार पर मूल्य मिलता है। अगर गन्ने का वजन घटता है, तो किसानों को कम कीमत मिलेगी। इस साल गन्ने की कम उपलब्धता के कारण मिलें पहले से ही 90-100 दिनों से भी कम समय तक चलने वाली है। दस दिन बिना पेराई कार्य के गुजर गए है।