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नयी दिल्ली 11 मई (UNI) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) निर्धारण में सेवा क्षेत्र में शामिल कंपनियों में से कुछ कंपनियों को राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के सर्वेक्षण में शामिल नहीं किये जाने को लेकर सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि इसमें ऐसी कंपनियों को शामिल नहीं किया गया है जो सेवा क्षेत्र के लिए काम नहीं कर रही हैं।
इसको लेकर मीडिया में आयी खबर के बाद वित्त मंत्रालय ने आज स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा कि निजी कंपनियों को लेकर कंपनी मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस जीडीपी आँकलन के लिए मूल्य संवर्धन है और इससे देश की आर्थिक गतिविधियों का अधिक सटीक आँकड़ा मिलता है।
उसने कहा कि इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कंपनी मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस से 35,456 कंपनियों को शामिल किया गया है। इसमें 38.7 प्रतिशत कंपनियों को ‘आउट ऑफ सर्वे’ यूनिट माना गया है। इससे मीडया में गलत अर्थ लगाया गया कि ये कंपनियाँ अर्थव्यवस्था में ही नहीं हैं। इससे यह अर्थ भी निकला गया कि मंत्रालय के डाटाबेस से ‘आउट ऑफ सर्वे’ एंटरप्राइजेज को नहीं हटाकर देश के जीडीपी को अनुमान से अधिक बताया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि 38.7 प्रतिशत ‘आउट ऑफ सर्वे’ एंटरप्राइजेज में से 21.4 प्रतिशत ऐसी कंपनियाँ हैं जाे इस दायरे में आती ही नहीं हैं। इस दायरे में नहीं आने वाली वे कंपनियाँ हैं जो सेवा क्षेत्र सर्वेक्षण में शामिल होने वाली गतिविधियाँ नहीं कर रही हैं। हालाँकि ये कंपनियाँ अार्थिक गतिविधियाँ कर रही हैं और इनके विनिर्माण क्षेत्र में होेन की संभावना है। इसके परिणाम स्वरूप इन कंपनियों को देश के जीडीपी के आँकलन के लिए दायरे से बाहर श्रेणी में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता क्योंकि ये देश के कुल जीडीपी का हिस्सा हैं।
बयान में कहा गया है कि शेष 17.3 प्रतिशत ‘आउट ऑफ सर्वे’ कंपनियों में से मात्र 0.9 प्रतिशत ही कंपनी मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस में शामिल नहीं हैं। शेष 16.4 प्रतिशत कंपनियाँ बंद हो गयी हैं या उनके बारे में जानकारी नहीं मिल रही है। हालाँकि, इसमें कहा गया है कि कंपनी मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस काे लगातार अद्यतन्न किया जाता है जिससे बंद हो चुकी कंपनियाें और जानकारी नहीं मिलने वाली कंपनियों की संख्या में कमी आ रही है। इसके मद्देनजर जीडीपी को अनुमान से अधिक बताये जाने की संभावना बहुत कम है।
इसमें कहा गया है कि निजी कंपनियों की कुल चुकता पूँजी की हिस्सेदारी को कंपनी मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस में नॉन रिस्पोंसिव एंटरप्राइजेज के तौर पर माना जाता है जिससे जीडीपी अनुमान प्रभावित होता है न कि इस तरह की कंपनियों की संख्या से।
मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2013-14 से लेकर 2016-17 तक जीडीपी आँकलन के लिए जिन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है उनकी संख्या कंपनी मामलों के मंत्रालय के डाटाबेस पर उपलब्ध कुल चूकता पूँजी का 12 से 15 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि जबाव नहीं देने वाले अधिकांश प्रतिष्ठान कारोबार के जारी रहने के मद्देनजर अगले वर्ष में रिपोर्ट दाखिल करते हैं।