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मुंबई : चीनीमंडी
अतिरिक्त चीनी के उत्पादन से ठप हो चुकी बिक्री, कीमत और निर्यात में लगातार दबाव के चलते चीनी उद्योग संकट में फंसा हुआ है। इस संकट से बाहर निकलने के लिए चीनी मिलों के सामने अब एक ही विकल्प बचा है और वो है इथेनॉल उत्पादन। देश भर में चीनी मिलें केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली तेल-विपणन कंपनियों (ओएमसी) के साथ इथेनॉल खरीद के लिए निर्धारित मूल्य अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद कर रही हैं। गन्ने के रस से सीधे उत्पादित इथेनॉल से मिलों को 59 रुपये प्रति लीटर मिलेगा, जो किमत केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कि गई है।
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने वाले महाराष्ट्र के चीनी सहकारी क्षेत्र के कई कद्दावर नेताओं को आश्वासन दिया गया है कि, राज्य के स्वामित्व वाली ओएमसी 10 से 15 साल तक की अवधि के लिए इथेनॉल खरीदेंगे। वर्तमान में, ओएमसी वैश्विक क्रूड की कीमतों से जुड़ी कीमतों पर आसवन से इथेनॉल खरीदते हैं। महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्ट्रीज़ फेडरेशन का कहना है कि, इथेनॉल की कीमतों में अस्थिरता चीनी मिलों को इसके उत्पादन के लिए सुविधाओं में निवेश करने के लिए रोड़ा बना देगी। सहकारी समितियां गन्ने की बढ़ती कीमतों के मामले में ओएमसी द्वारा किए गए भुगतान में वृद्धि की मांग कर रही हैं। लेकिन सूत्रों के अनुसार ओएमसी फ़िलहाल दरें बढ़ाने के मूड में नही हैं, वे चीनी सहकारी समितियों द्वारा निर्धारित शर्तों का विरोध कर रहे हैं।
इस साल की शुरुआत में, मोदी सरकार ने चीनी मिलों के लिए इथेनॉल के उत्पादन में निवेश के लिए कई नियमों को आसान बनाया। चीनी मिलों से जुड़े को-जेनरेशन प्लांट जिन्हें अब तक केवल गुड़ से ही इथेनॉल बनाने की अनुमति थी, अब सीधे गन्ने के रस से इथेनॉल बनाने की अनुमति दी जा रही है। मोलासिस से उत्पादित इथेनॉल की कीमत वर्तमान में 52.43 रुपये प्रति लीटर है, लेकिन जो इथेनॉल सीधे गन्ने के रस से निर्मित होगा उसे 59 रुपये प्रति लीटर प्राप्त होगा।
भारत में बेचे जाने वाले पेट्रोल और डीजल को 2022 से कम से कम 10 प्रतिशत इथेनॉल के साथ मिश्रित करना होगा, जो कि 2030 तक 20 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। 2022 तक कम से कम 300 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी। वर्तमान में ओएमसी को इथेनॉल की आपूर्ति लगभग आधी है। जैव ईंधन के उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने चीनी मिलों के लिए पिछले महीने 3,300 करोड़ रुपये की ब्याज दरों में हस्तक्षेप योजना भी पेश की। हालांकि, महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने कहा कि, वे किसानों के गन्ना बकाया के कारण परेशान हैं और ओएमसी के साथ निर्धारित मूल्य अनुबंधों के अभाव में इथेनॉल उत्पादन में निवेश नहीं कर पाएंगे।