नई दिल्ली : इंडिया शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने चीनी के निष्कर्षण या शोधन से उत्पन्न मोलासेस पर 50% निर्यात शुल्क लगाने के सरकार के आदेश का स्वागत करता है ।हर साल लगभग 15-16 लाख टन मोलासेस का निर्यात किया जाता है, जो उत्पादित मोलासेस की कुल मात्रा का लगभग 10% है। एथेनॉल के संदर्भ में, इस मोलासेस से लगभग 38 करोड़ लीटर एथेनॉल का निर्माण संभव है।
वर्तमान परिदृश्य में, जहां भारत सरकार ने एथेनॉल के उत्पादन के लिए गन्ने के रस/सिरप को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है, और सरकार चीनी मिलों को एथेनॉल के उत्पादन के लिए अधिकतम सी हेवी मोलासेस का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिसमें मोलासेस उत्पादन के लिए मुख्य फ़ीड स्टॉक है। भारत में इसकी उपलब्धता एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
ISMA के अध्यक्ष एम. प्रभाकर राव के अनुसार, हमने सरकार से मोलासेस के निर्यात को तत्काल प्रभाव से पूरी तरह से रोकने का अनुरोध किया था क्योंकि इससे देश के एथेनॉल उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे अन्य फ़ीड स्टॉक पर निर्भरता कुछ हद तक कम हो जाएगी। इसके आलोक में, चीनी के निष्कर्षण या शोधन से उत्पन्न मोलासेस पर 50% निर्यात शुल्क लगाने का कदम बहुत स्वागत योग्य है।
श्री राव ने सरकार से ईएसवाई 2023-24 के लिए गन्ने के सिरप/जूस, बी-हैवी मोलासेस और सी-हैवी मोलासेस फ़ीड स्टॉक से बने एथेनॉल के खरीद मूल्य में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि पर विचार करने का भी अनुरोध किया। सरकार को हाल ही में लिखे एक पत्र में, ISMA ने मौजूदा मूल्य निर्धारण संरचना पर अपनी चिंता साझा की थी जो उत्पादन लागत और विभिन्न स्रोतों से एथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी उद्योग द्वारा किए गए महत्वपूर्ण निवेश को पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं करता है। राव ने सरकार के एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के साथ चीनी उद्योग और ISMA के संरेखण को दोहराया और उसी के प्रति उद्योग की प्रतिबद्धता को आश्वस्त किया।