करनाल : सीओ-0238 किस्म पर लाल सड़न रोग का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, और इससे उपज में गिरावट आ रही है। उपज में गिरावट से किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कृषि विशेषग्य भी सीओ-0238 किस्म का परहेज करने की अपील किसानों को कर रहे है। सीओ-0238 किस्म, गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल से डेढ़ दशक पहले रिलीज हुई और 2023 आते आते देशभर के किसानों और चीनी मिलों की सर्वाधिक पसंदीदा किस्म बन गई। देश के 62 प्रतिशत गन्ना रकबे पर इसने कब्जा कर लिया।
‘अमर उजाला’ में प्रकाशित खबर के अनुसार, इस किस्म के जनक डॉ. बख्शी राम को पद्मश्री जैसा सम्मान मिला, लेकिन ये विडंबना यह है कि उसी किस्म के संस्थान के वैज्ञानिकों को अब किसानों को उस किस्म से दूरी बनाने के लिए कहने को विवश होना पड़ रहा है। ये दर्द शनिवार को यूपी के किसानों को प्रशिक्षण के अंतिम दिन केंद्र के वैज्ञानिकों की जुबां से निकले शब्दों में भी महसूस किया गया। गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र करनाल ने करीब 14 गन्ना किस्मों को रिलीज किया है। जिसमें अगेती किस्मों में सीओ-98014, सीओ-0118, सीओ-0238, सीओ-0239, सीओ-05009 और सीओ-15023 तथा मध्यम देरी वाली किस्मों में सीओ-0124, सीओ-05011, सीओ-06034, सीओ-13035 व सीओ-16030 किस्में शामिल हैं। इसमें सीओ-0238 ऐसी किस्म निकली जिसमें गन्ने की पैदावार के साथ चीनी उत्पादन में भी सबसे बेहतर साबित हुई।
ये किस्म वर्ष 2009 में रिलीज हुई और तेजी से इसे किसानों ने अपनाया और बेहतर चीनी रिकवरी होने के कारण चीनी मिलों ने भी इसे प्रोत्साहित किया। अभी भी बड़ी संख्या में किसान इसे बो रहे हैं। डॉ. बख्शी राम ने करनाल केंद्र के अध्यक्ष रहते हुए इस किस्म को तैयार कर वर्ष 2009 में रिलीज कराया था, इसलिए 2023 में केंद्र सरकार ने डॉ.बख्शीराम को पद्मश्री से सम्मानित किया। लाल सड़न का प्रकोप इसमें बढ़ने लगा है। जिससे अब इस किस्म का अधिक भविष्य नहीं है। हालांकि गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र में टिशू कल्चर विधि से भी इसकी पौध तैयार करके शुद्ध बीज बनाकर किसानों को दिया जा रहा है, ताकि ये किस्म रोगरहित होकर अपना अस्तित्व बनाए रखे, लेकिन इस विधि से देश के एक बड़े भूभाग तक टिशू बीज संभव नहीं हो पाएगा। यही कारण है कि वैज्ञानिक चाहते हैं कि किसान केंद्र से बीज ले जाकर खुद अपने खेतों में ही बीज तैयार करें।
गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा की, सीओ-0238 किस्म गन्ने का कैंसर कहे जाने वाले लाल सड़न रोग का शिकार हो गई है।इसके विकल्प के रूप में सीओ-0118 व सीओ-15023 आदि नई किस्म को अपनाने की जरूरत है। ये दोनों किस्में सीओ-0238 का विकल्प साबित हो सकती हैं। दोनों किस्म रोग रहित हैं, बेहतर पैदावार के साथ बेहतर चीनी रिकवरी भी देंगी।
सीओ-0238 गन्ना किस्म के जनक, पद्मश्री डॉ.बख्शी राम ने कहा की, पैदावार और चीनी परता, एक दूसरे के विरोधी थे, पैदावार बढ़ाते तो तो चीनी परता कम हो जाता, चीनी परता बढ़ाते तो पैदावार। इसी उधेड़बुन में जब उन्होंने कोयंबटूर में ज्वाइन किया तो सोचा कि ऐसी किस्म हो, जिसमें दोनों अधिक हो, फिर 1996 में पहली बार हाइब्रिड क्रॉस तैयार किया। लगातार 13 साल की मेहनत के बाद 2009 में किस्म रिलीज हुई। इस किस्म ने हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के राज्यों में गन्ने की पैदावार 20 टन प्रति हेक्टेयर व चीनी परता 2.44 प्रतिशत बढ़ा दिया। जो पैदावार 60 थी, उसे 80 टन प्रति हेक्टेयर कर दिया। चीनी परता 9.18 था, उसे 11.77 किलो प्रति क्विंटल कर दिया।
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