नई दिल्ली: एथेनॉल निर्माताओं द्वारा मक्के की आपूर्ति के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ, पोल्ट्री उद्योग, जो अपनी फ़ीड आवश्यकताओं के लिए मक्के पर निर्भर है, ने केंद्र सरकार से आनुवंशिक रूप से संशोधित मक्का और सोयामील आयात करने की अनुमति देने के लिए कहा है। वह यह भी चाहते है कि, सरकार देश में उत्पादकता बढ़ाने के लिए उच्च उपज वाले जीएम बीज लाए।
द हिन्दू बिजनेस लाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गेहूं और धान का उदाहरण देते हुए, जिनकी उत्पादकता हरित क्रांति के बाद कई गुना बढ़ गई थी, श्रीनिवास फार्म्स के प्रबंध निदेशक और सीआईआई की पशुपालन और डेयरी पर राष्ट्रीय समिति के सह-अध्यक्ष, सुरेश चित्तूरी ने कहा कि, मक्के की पैदावार और उत्पादकता बढ़ाने के लिए इसी तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता है। शुक्रवार को सीआईआई के तीन दिवसीय एग्रीटेक साउथ 2024 में पोल्ट्री उद्योग के लिए चुनौतियों और अवसरों पर एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, देश में पोल्ट्री क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं।
वेंकटेश्वर हैचरीज के महाप्रबंधक के जी आनंद ने कहा की, सरकार को एथेनॉल उत्पादन के लिए आवश्यक सीमा तक जीएम मक्का के आयात पर विचार करना चाहिए। हम मक्का उत्पादन को मौजूदा 30 मिलियन टन से बढ़ाकर 40 मिलियन टन तक बढ़ाने के उपाय भी कर सकते हैं। इससे पोल्ट्री उद्योग की फ़ीड जरूरतों के लिए मक्के की उपलब्धता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा, एथेनॉल के उत्पादन के लिए मकई और टूटे चावल का उपयोग करने की सरकार की नीति से अनाज और मकई की उपलब्धता में और कमी आएगी। यह आने वाले वर्षों में उद्योग के विकास के लिए एक चुनौती है। जीएम मक्का और सोयामील आयात की अनुमति देना एक समाधान है।
सुरेश ने कहा कि, ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे हमारे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत में इनपुट की लागत अभी भी अधिक है।
FCI has to enterfare in this matter and supply the required raw material (broken rice & maize grain) to meet the require demand.