भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र का कहना है कि अगर केंद्र एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का को डायवर्ट करने की अपनी योजना पर आगे बढ़ता है, तो फीड की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उसका मार्जिन कम हो जाएगा, क्योंकि अनाज फ़ीड का एक प्राथमिक घटक है।
चूंकि सरकार ने गन्ने के कम उत्पादन की आशंका को देखते हुए एथेनॉल उत्पादन के लिए 1.7 मिलियन टन चीनी की सीमा तय की है, इसलिए वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से एथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में मक्के का उपयोग करने की अनुमति देकर इस अंतर को काफी हद तक भरने की उम्मीद कर रही है। इस सीजन में 15 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण हासिल करने का लक्ष्य है।
आपको बता दे, तेल विपणन कंपनियों (OMCs) ने मक्का और अन्य अनाजों से एथेनॉल की खरीद कीमत 5.79 रुपये बढ़ाकर 71.86 रुपये प्रति लीटर कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि केंद्र ने मक्के की मात्रा को डायवर्ट करने की घोषणा नहीं की है, लेकिन पोल्ट्री उद्योग का अनुमान है कि 10-20 प्रतिशत एथेनॉल उत्पादन में जा सकता है, जिससे मांग-आपूर्ति का अंतर बढ़ सकता है, जिससे मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
मनीकंट्रोल से बातचीत में, नीरज कुमार श्रीवास्तव, कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए) के पूर्व अध्यक्ष ने कहा की आपूर्ति में गिरावट से मक्के की कीमतें मौजूदा 25 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती हैं, जब तक कि अधिक आयात न किया जाए।
श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) नहीं होने वाले मक्के के आयात की अनुमति दी है, जिसका उत्पादन केवल कुछ ही देशों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा मक्के पर 50-55 फीसदी आयात शुल्क लगता है। सरकार को आयात शुल्क माफ करना चाहिए और पोल्ट्री उद्योग को जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देनी चाहिए, जो कम कीमतों पर उपलब्ध है।
मनीकंट्रोल के मुताबिक, पोल्ट्री फार्मर्स एंड ट्रेडर्स कमेटी, केरल के सचिव टी एस प्रमोद ने कहा कि पोल्ट्री फ़ीड की कीमत 35 रुपये से बढ़कर 42 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई है। इससे उत्पादन में 20 से 30 फीसदी की गिरावट आयी है।