शिलॉन्ग: नागरिकों का आरोप है की मेघालय से बांग्लादेश में चीनी तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है और इसलिए वे अपनी आवाज उठा रहे है।
द शिलॉन्ग टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, शिलॉन्ग के पिंथोरबाह के निवासी एडेलबर्ट सोहतून ने मेघालय के माध्यम से बांग्लादेश में चीनी (सफेद और परिष्कृत दोनों किस्मों) के अवैध निर्यात को दर्शाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का रुख किया है।
शिकायत की एक प्रति रोहित यादव, संयुक्त सचिव प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO), बीएसएफ के महानिदेशक नितिन अग्रवाल, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष विवेक जोशी, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के प्रधान आयुक्त विमल कुमार श्रीवास्तव, सीवीओ एवं पीआर. सीबीआईसी की महानिदेशक (सतर्कता) सुचित्रा शर्मा और अन्य को संबोधित की गई।
सोहतून ने अपनी याचिका में दावा किया कि, मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने और आम जनता के कल्याण के लिए 18 अक्टूबर, 2023 की डीजीएफटी अधिसूचना संख्या 36/2023 के अनुसार चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सोहतुन ने कहा कि, मेघालय अवैध चीनी निर्यात का केंद्र बन गया है और गैसुआपारा, बोरसोरा, चेरागांव, डावकी और डालू भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से सैकड़ों ट्रक चीनी अवैध रूप से बांग्लादेश को निर्यात की जाती है। उन्होंने PMO से जांच शुरू करने और गंभीर कदम उठाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि, ये ट्रक असम से चीनी लेकर आते हैं और रास्ते में सभी पुलिस स्टेशनों पर “भुगतान” करने के बाद बिना किसी दस्तावेज के निर्दिष्ट भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (and customs station/LCS)) तक पहुंच जाते हैं।
सोहतून के चीनी की अवैध तस्करी के दावे का मेघालय आयातकों और निर्यातकों के चैंबर ऑफ कॉमर्स (Meghalaya Importers & Exporters Chamber of Commerce/MIECC) ने भी समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि तस्करी अब मवेशियों और दवाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब इसमें प्याज और चीनी भी शामिल हो गई है। MIECC सचिव डॉली खोंगलाह ने कहा, प्रतिदिन कई टन चीनी और प्याज की तस्करी बांग्लादेश में की जा रही है, जिससे घरेलू बाजार में उनकी कीमत बढ़ गई है और इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ा है।