मुंबई: देश में चीनी की कमी के संकट से बचने के लिए चीनी मिलों में गन्ने के रस से एथेनॉल के उत्पादन को प्रतिबंधित करने के केंद्र सरकार के फैसले से चीनी उद्योग का कहना है की यह उनके वित्त पर असर कर रहा है। राज्य सहकारी चीनी मिल संघ ने गन्ने से एथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध पर तत्काल पुनर्विचार करने की मांग की है। इस साल के पेराई के मौसम में चीनी उत्पादन में संभावित कमी और चीनी की कमी को देखते हुए, केंद्र सरकार ने गन्ने के रस और बी-हैवी मोलासेस से एथेनॉल के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने भी सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर प्रतिबंध हटाने की मांग की है।इस प्रतिबंध से चीनी उद्योग संकट में है और उन्होंने केंद्र से अपने फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। हर्षवर्धन पाटिल ने कहा, हमने प्रतिबंध के कारण चीनी उद्योग के सामने आने वाले संकट के बारे में सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र के माध्यम से सूचित किया है। केंद्र सरकार ने फैक्ट्रियों की समस्या पर गौर किया है और इसका समाधान निकालने के लिए सकारात्मक प्रयास कर रही है। इसके बारे में जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा देश में चीनी मिलों को एथेनॉल बनाने के लिए और चीनी डायवर्ट करने की अनुमति मिल सकती है।सरकार एथेनॉल के लिए अतिरिक्त 800,000 टन चीनी का उपयोग करने के लिए मिलों को अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, क्योंकि चीनी उत्पादन अनुमान से अधिक होने की संभावना है। यह पहले आवंटित 1.7 मिलियन टन चीनी डायवर्जन से ऊपर होगा।