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नई दिल्ली : चीनीमंडी
अगले सीजन में उच्च अधिशेष स्टॉक के साथ पेराई की शुरुआत होने की सम्भावना है, इस ‘अतिरिक्त चीनी’ की समस्या से निपटने के लिए चीनी उद्योग और केंद्र सरकार द्वारा पिछले तीन सालों में काफ़ी कुछ प्रयास किये गये। जिसके कुछ अच्छे नतीजें भी निकलकर आये। इस पूरी प्रक्रिया में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान का योगदान कोई नही भूल सकता है। अब रामविलास पासवान को एक और कार्यकाल के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के साथ, उन्हें चीनी उद्योग के सामने आने वाली समस्याओं से निपटना होगा, जो उन्होंने एक साल पहले हल करने का प्रयास किया था। पासवान के फिर एक बार मंत्री बनने से चीनी उद्योग को ‘अधिशेष’ की समस्या से राहत मिलने की आशा है।
इस बार, हालांकि, उन्हें विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत की सब्सिडी के खिलाफ आवाज़ उठानेवाले देशों से उन्हें अलग तरीके से निपटना होगा।दूसरी ओर एक साल पहले चरणों में बड़े पैकेज की घोषणा के बाद, अतिरिक्त चीनी की उपलब्धता अभी भी गंभीर मुद्दा है। मिलों को दिया गया 50 लाख टन का निर्यात लक्ष्य कई रियायतों और सब्सिडी से जुड़ा था। अगले साल सितंबर में सीजन खत्म होने पर 20 फीसदी या दस लाख टन तक निर्यात में कमी होने का अनुमान है।
सूत्रों के मुताबिक, अब तक 50 लाख टन आवंटित कोटे में से अब तक 30 लाख टन निर्यात किया गया है। यह लगभग तय है कि यह सीजन लगभग 330 लाख टन उत्पादन के साथ समाप्त हो रहा है, लेकिन अगले सीजन 2019-20 में खराब उपज या इथेनॉल के लिए गन्ने के मोड़ के कारण उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत की तेज गिरावट होने की सम्भावना है।