नई दिल्ली : एक वैश्विक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, नेस्ले भारत, अन्य दक्षिण एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों सहित कम विकसित देशों में उच्च चीनी सामग्री वाले शिशु उत्पाद बेचती है, खाद्य सुरक्षा नियामक FSSAI ने कहा कि, वह पूरे भारत नेस्ले सेरेलैक के बेबी फ़ूड नमूने एकत्र करने की प्रक्रिया में है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के सीईओ जी कमला वर्धन राव ने कहा, हम देश भर से (नेस्ले के सेरेलैक बेबी अनाज के) नमूने एकत्र कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को पूरा करने में 15-20 दिन लगेंगे।राव फूड फोर्टिफिकेशन पर एसोचैम के एक कार्यक्रम से इतर समाचार एजेंसी पीटीआई से बात कर रहे थे।
यह कदम उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा स्विस एनजीओ पब्लिक आई द्वारा प्रकाशित वैश्विक रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए नेस्ले की चीनी सामग्री के बारे में चिंता व्यक्त करने के बाद आया है। जबकि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, कम विकसित देशों में बेचे जाने वाले नेस्ले बेबी उत्पादों में यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक चीनी सामग्री होती है। कंपनी ने कहा कि, वह अनुपालन पर कभी समझौता नहीं करती है और पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु खाद्य उत्पादों में 30 प्रतिशत तक (वेरिएंट पर निर्भर) चीनी सामग्री कम हो गई है।
राव ने यह भी कहा कि, एफएमसीजी कंपनियों ने देश में पोषण संबंधी खाद्य पदार्थों के विकल्पों का और विस्तार करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में बाजरा आधारित विभिन्न प्रकार के उत्पाद पेश किए हैं। FSSAI स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रशासन के तहत एक वैधानिक निकाय है।एलटी फूड्स ग्लोबल ब्रांडेड बिजनेस के सीईओ विवेक चंद्रा, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के शारिका यूनुस, फोर्टिफाई हेल्थ के सीईओ टोनी सेन्याके और फार्म टू फोर्क सॉल्यूशंस के सीईओ उमेश कांबले ने भी फूड फोर्टिफिकेशन के बारे में बात की।