लाहौर: पंजाब गन्ना उत्पादक संघ (पीएसजीए) और पाकिस्तान चीनी मिल्स एसोसिएशन (पंजाब क्षेत्र) ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान के प्रधान मंत्री से विदेशी मुद्रा अर्जित करने के अवसर का लाभ उठाने के लिए अधिशेष चीनी के निर्यात की अनुमति देने की अपील की है। उन्होंने चीनी के निर्यात के लिए एक स्थायी नीति तैयार करने के लिए संबंधित मंत्रालय को निर्देश जारी करने का भी आह्वान किया। शुक्रवार को पीएसएमए कार्यालय में हुई दोनों संगठनों की बैठक में यह मांग उठाई गई, जिसमें उत्पादकों के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई।
पीएसएमए अधिकारियों के अनुसार, पीएसजीए के अध्यक्ष राणा इफ्तिखार मुहम्मद ने सहमति व्यक्त की कि उच्च इनपुट लागत के कारण सफेद चीनी के निर्माण की उत्पादन लागत कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि, 2022-23 के पेराई सत्र के दौरान उत्पादकों को गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रुपये प्रति टन मिला, जबकि 2023-24 में यह दर पंजाब में 400 प्रति टन और सिंध में 425 रुपये तय की गई थी। जो बाद में 500 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई।इससे किसानों को उनकी फसल का बेहतर मुनाफा मिला। अधिशेष चीनी के निर्यात से किसानों और चीनी मिलों के बीच आर्थिक मुद्दों को खत्म करने में मदद मिलेगी।
पीएसएमए अधिकारियों ने कहा कि, चीनी की दरें गिर गई हैं और एसोसिएशन अभी भी अधिशेष चीनी के निर्यात का इंतजार कर रहा है। दूसरी ओर, निर्यात में अनावश्यक देरी के कारण चीनी की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें लगातार कम हो रही हैं, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का अवसर कम हो रहा है। राणा इफ्तिखार मुहम्मद ने चिंता व्यक्त की कि, किसानों को गेहूं, कपास और मक्का जैसी अन्य फसलों में नुकसान हुआ है। गन्ने की खेती के प्रति उनका रुझान बढ़ रहा है। अनुमान है कि, किसान लगभग 30% अधिक गन्ने की खेती करेंगे जिसके परिणामस्वरूप अगले सीजन में अतिरिक्त गन्ना उत्पादन होगा। तदनुसार अधिशेष चीनी उत्पादन फिर से बढ़ाया जाएगा।