उत्तर प्रदेश: गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट का प्रकोप बढ़ रहा है; अलर्ट जारी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गर्मी बढ़ते ही गन्ने पर कीटों का हमला बढ़ा है, और इसको लेकर किसान चिंतित है। इसके मद्देनजर प्रदेश के 45 गन्ना उत्पादक जिलों के किसानों के लिए अलर्ट जारी हुआ है। प्रदेश में चोटी बेधक का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। शाहजहांपुर स्थित उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने किसानों को सावधानी बरतने की अपील की है।

लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के निदेशक वीके शुक्ल ने कहा कि वर्तमान में गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट की प्रथम पीढ़ी के उपरान्त द्वितीय पीढ़ी का प्रकोप देखा जा रहा है। इस कीट की मादा शलभ चांदी जैसे सफेद रंग की होती है तथा पीछे की ओर नारंगी रंग की रोये दार संरचना पायी जाती है। यह रात्रि में गन्ने की पत्तियों के मध्य शिरा के पास 75 से 250 अण्डों के समूह में अण्डे देती है जो एक-दूसरे पर चढ़े हुये (ओवरलैप) तथा भूरे रंग के रोयेंदार पदार्थ से ढ़के रहते है। कीट द्वारा गन्ने के गोफ को खा जाने से उसमें सड़न हो जाती है तथा उसके नीचे की आंखों से फुटाव हो जाता है फलस्वरूप शीर्ष भाग में मृतसार (डेड हर्ट) एवं बंचीटाप (झाड़ीनुमा संरचना) बन जाता है।

शुक्ल ने किसानों को सलाह दी कि वह अपने गन्ना खेतों की सुबह-सुबह निगरानी जरूर करें तथा खेत में यदि द्वितीय पीढ़ी के अण्ड समूह अथवा सूड़ियां दिखाई पड़े तो ऐसी प्रभावित पत्तियों को तोड़ कर के नष्ट कर दें। अधिक प्रभावित पौधों को खुरपी से पूरा काट कर नष्ट कर दें। इस कीट की प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से प्रभावित पौधों में मृतसार/डेडहर्ट बनने पर पौधों को जमीन की सतह से सूड़ी/प्यूपा सहित काटकर नष्ट कर दें तथा रसायनिक नियन्त्रण को निदेशक ने बताया कि इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत रसायन को एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी के साथ घोल बनाकर थोड़ा सा सैम्पू मिलाकर पौधों पर छिड़काव करने से पौधे के ऊपर पाये जाने वाले अण्ड समूह एवं सूड़ियां एवं तितलियां नष्ट हो जाती है।

अधिक है तो कीटों तो करें ऐसा चोटी बेधक कीट से अधिक प्रभावित फसल एवं गोफ के अन्दर प्रवेश कर चुकी सूड़ियों को नष्ट करने के लिए क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल (कोराजन/सिटीजन) 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. 400 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में नमी की स्थिति में गन्ने की लाइनों में जड़ों के पास ड्रेन्चिंग करें और इसकी उपलव्धता न होने पर वर्टागो या फरटेरा का भी उपयोग किया जा सकता है। इस कीट के जैविक नियन्त्रण को अण्ड परजीवी ट्रा इकोग्रामा जापोनिकम की 20000 वयस्क (4 से 5 ट्रा ईकोकार्ड) प्रति हेक्टेयर की दर से जून के अन्तिम सप्ताह से 15 दिन के अन्तराल पर लगाये जाने से यह चोटी बेधक के अण्डों को खा जाता है तथा फसल चोटी बेधक के प्रकोप से बच जाता है।

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