नई दिल्ली: सूत्रों का कहना है कि, भारत छह साल के अंतराल के बाद गेहूं का आयात शुरू करने के लिए तैयार है, ताकि कम हो रहे भंडार को फिर से भरा जा सके और तीन साल की निराशाजनक फसलों के बाद कीमतों में उछाल को रोका जा सके। अधिकारियों और अन्य सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि, भारत इस साल गेहूं के आयात पर 40% टैक्स को समाप्त कर सकती है, जिससे निजी व्यापारियों और आटा मिलों के लिए शीर्ष निर्यातक रूस जैसे उत्पादकों से खरीद करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि, नए सीजन की गेहूं की फसल आने के साथ ही सरकार रूस की फसल के समय आयात कर को समाप्त करने के लिए जून के बाद तक इंतजार कर सकती है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा, गेहूं आयात शुल्क को हटाने का एक मजबूत मामला है। यह खुले बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा संभव तरीका है। सरकार मांग को स्वीकार करने की संभावना है।
मामले से अवगत एक सरकारी सूत्र ने कहा, जून के बाद गेहूं आयात शुल्क हटा दिया जाना चाहिए, ताकि निजी व्यापारी गेहूं आयात कर सके।सूत्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, हमारे किसानों के हितों की रक्षा के लिए, अक्टूबर में गेहूं की बुआई शुरू होने से पहले शुल्क बहाल कर दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के चुनाव जीतने की व्यापक रूप से उम्मीद है, जो 1 जून को समाप्त होगा, और मतगणना 4 जून को होगी। व्यापारियों का कहना है कि अगर सरकार 40% शुल्क हटाती है तो वे आयात शुरू कर देंगे।