महाराष्ट्र: प्रदेश के ‘इस’ जिले के गन्ने को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से मांग

पुणे: गर्मी के चलते रसवंती के घुंगरु अब भी शुरू है। शहरी व ग्रामीण भागों में फाटे, चौराहों पर शीतपेय की दुकानें लगना शुरू हो गया है।कुछ तीन पहियों वाले ऑटो पर, कुछ गाड़ियों पर रसवंती मशीन लगाकर गांव गांव में घूमकर गलियों में गन्ने का ताजा रस बेच रहे है। आपको बता दे की, महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (पूर्व का नाम अहमदनगर) जिले के गन्ने की हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से मांग बढ़ रही है।

जिले के नेवासा तालुका के गन्ने की मांग काफी बढ़ रही है।रसवंती को एक दिन में करीब 150 टन गन्ने की जरूरत होती है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के साथ महाराष्ट्र में रसवंती के लिए नेवासा तालुका के गन्ने को प्राथमिकता मिल रही है।गन्ना 3500 रुपये प्रति टन मिल रहा है। किसान चीनी मिलों के बजाय रसवंती को गन्ने की आपूर्ति कर रहे हैं।गन्ने की पशु चारे के लिए भी राज्य के विभिन्न स्थानों पर मांग है।

लोकमत में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल तालुका से रोजाना 100 से 150 टन गन्ना एजेंटों के जरिए जूस निकालने के लिए भेजा जाता है।संभावना है कि, आने वाले सीजन में गन्ने की कमी हो जाएगी और दाम बढ़ जाएंगे।फिलहाल एक ट्रक में 20 टन गन्ने की ढुलाई होती है।इनका किराया 35 से 45 हजार रुपये था।राजस्थान, दिल्ली, पंजाब राज्यों के लिए 20 टन गन्ने के ट्रक है।कटाई करने वाले श्रमिकों को प्रति टन 500 रुपये नकद मिलती है।राज्य में गन्ने का दाम 2500 से 2800 प्रति टन मिलता है, जबकि अन्य राज्यों में जाने वाले गन्ने की कीमत 3500 रुपये प्रति टन है।

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