यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये
नयी दिल्ली 11 जून (UNI) उद्योग जगत ने सरकार से चालू वित्त वर्ष के बजट में पाँच लाख रुपये तक की आय पर शून्य व्यक्तिगत आयकर लगाने और लाभांश वितरण कर को 20 फीसदी से कम कर 10 फीसदी करने की माँग करते हुये मंगलवार को देश में निवेश आकर्षित करने और निजी निवेश बढ़ाने के उपाय करने के सुझाव दिये।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व चर्चा में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) एसोचैम, फिक्की, फिओ, फिसमी आदि के प्रतिनिधियों ने बजट को लेकर अपने सुझाव दिये। सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम एस. किर्लोस्कर ने देश में 10 बड़े सुधार किये जाने की आवश्यकता बताते हुये कहा कि राजस्व प्रवाह में सुधार के लिए कराधान सरलीकरण की जरूरत है। सरकार को वित्तीय अनुशासन का कड़ाई से पालन करने की अपील करते हुये उन्होंने कहा कि सरकार को प्रत्यक्ष कर के लिए एक समय सीमा की घोषणा करनी चाहिये जिसमें सभी छूट को समाप्त कर अधिकतम कर 18 प्रतिशत होनी चाहिये।
उन्होंने आयकर कानून दस्तावेज को चरणबद्ध तरीके से तीन वर्षाें में चार-पाँच पृष्ठों का बनाने की आवश्यकता भी बतायी और कहा कि पूँजी पर उच्च कर दर को कम किया जाना चाहिये क्योंकि पूँजी प्रवाह में यह बहुत बड़ा बाधक है। उन्होंने लाभांश वितरण कर को 20 फीसदी से कम कर 10 प्रतिशत करने की अपील करते हुये कहा कि निवेशकों से इस पर कर नहीं वसूला जाना चाहिये। उन्होंने लोगों को व्यय के लिए अधिक राशि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पाँच लाख रुपये तक की आय पर शून्य कर लगाने और इनके लिए रिटर्न भरने को सरल बनाने की माँग की।
श्री किर्लोस्कर ने विकास में तेजी लाने के लिए सरकारी और निजी निवेश में तेजी लाने, नयी औद्योगिक नीति बनाने, विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए नये मॉडल विकसित करने, हाउसिंग एवं निर्माण, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा एवं गार्मेंट, पर्यटन, ऑटोमोबाइल आदि क्षेत्र में रोजगार के लक्ष्यों की निगरानी के लिए आधार के तरह मिशन निदेशक बनाये जाने के सुझाव भी दिये।
एसोचैम के अध्यक्ष बी.के. गोयनका ने निवेश के लिए माहौल बनाने, सुधार को जारी और एसएमई नियमों को बेहतर बनाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी दोनों निवेश के लिए अनुकूल माहौल होना चाहिये। उन्होंने सभी नये निवेश पर पहले वर्ष शत प्रतिशत डिप्रिशियेशन की अनुमति देने की अपील करते हुये का कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को समाप्त किये जाने के बाद संबंधित मंत्रालयों द्वारा एफडीआई की मंजूरी दिये जाने से प्रस्तावों के अनुमाेदन में बहुत विलंब होने लगा है। इसलिए, एक केन्द्रीय नोडल एजेंसी बनाये जाने की माँग करते हुये उन्होंने कहा कि जिस तरह से जापान के लिए अलग से डेस्क बनाया गया है उसी तरह से अधिक एफडीआई वाले सभी देशों के लिए डेस्क बनाये जाने चाहिये।
श्री गोयनका ने खनन क्षेत्र में शत-प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दिये जाने की सिफारिश करते हुये कहा कि मेक इन इंडिया को गति देने के उद्देश्य से घरेलू उत्पाद को टैरिफ संरक्षा मिलनी चाहिये। उन्होंने जीएसटी के लिए दो कर दर आठ प्रतिशत और 16 प्रतिशत निर्धारित करने की माँग की।
फियो ने एफडीआई और टैरिफ नीति के बीच तारत्मय बनाने का सुझाव दिया और कहा कि कॉर्पोरेट कर को वर्ष 2015 में कम कर 25 प्रतिशत किया था। उसी के अनुरूप अब 250 करोड़ रुपये का कारोबार करने वालों पर भी इसे कम कर 25 प्रतिशत किया जाना चाहिये। उसने कहा कि कॉर्पोरेट कर में कमी का लाभ सभी को मिलना चाहिये ताकि हर क्षेत्र में एफडीआई बढ़ सके।