नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कथित तौर पर अधिक मात्रा में चीनी बेचने पर चीनी मिलों पर शिकंजा कसा है।इसने जुलाई 2024 के लिए करीब 106 चीनी मिलों का कोटा काट दिया है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा 28 जून को जारी आदेश में जुलाई के दौरान घरेलू बाजार में बिक्री के लिए 573 मिलों के बीच 24 लाख टन चीनी आवंटित करते हुए सरकार ने कहा, यह देखा गया है कि कुछ चीनी मिलों ने स्टॉक होल्डिंग सीमा का उल्लंघन किया है और अप्रैल, 2024 के महीने के लिए अपने रिलीज कोटे से अधिक चीनी बेची है। इसलिए, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 4 और 5 और भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के आदेश एस.ओ. 07-06-2018 के आदेश संख्या 2347 (ई) के अनुसार, अप्रैल-2024 का कोटा जारी करने के लिए इस प्रकार अधिक मात्रा में भेजी गई मात्रा को जुलाई-2024 माह के पात्र कोटे से घटाने का निर्णय लिया गया है।
जुलाई 2024 के लिए 24 लाख मीट्रिक टन का मासिक चीनी कोटा, जुलाई 2023 में आवंटित मात्रा (24 LMT) के समान है। डीएफपीडी ने चीनी मिलों को राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) पोर्टल (https://www.nsws.gov.in) पर ऑनलाइन पी-II पंजीकरण और भरने के लिए कहा है। यदि चीनी मिल 10 जुलाई, 2024 तक जून, 2024 माह के लिए nsws पोर्टल पर ऑनलाइन जानकारी नहीं भरती है, तो अगस्त, 2024 के लिए घरेलू कोटा मिलों को जारी नहीं किया जाएगा। सभी चीनी मिलों/डिस्टिलरी को सूचित किया जाता है कि बी-हैवी, शुगर सिरप, गन्ने के रस से एथेनॉल उत्पादन से संबंधित जानकारी भी पी-II फॉर्म में ही nsws पोर्टल पर भरी जाएगी। चीनी मिलों को जूट पैकेजिंग सामग्री (पैकिंग वस्तुओं में अनिवार्य उपयोग) अधिनियम, 1987 के तहत 20% चीनी को जूट की बोरियों में पैक करने की अनिवार्यता का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा nsws पोर्टल पर पी-II प्रोफार्मा में इसकी जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
इस संबंध में कोल्हापुर जिले की एक सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, कुप्रबंधन और अन्य कारणों के चलते देश की कुछ चीनी मिलें भारी वित्तीय संकट में हैं, और इसलिए ऐसी चीनी मिलें निर्धारित कोटा से ज्यादा चीनी बेचती हैं। हालांकि, इसका असर अन्य मिलों पर पड़ता है। इसलिए सरकार ने ज्यादा चीनी बेचने वाली चीनी का कोटा कम किया है। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से भविष्य में कोई भी चीनी मिल निर्धारित कोटा से ज्यादा चीनी बेचने की हिम्मत नहीं करेगी।