पुणे: विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने महाराष्ट्र की 13 सहकारी चीनी मिलों को ‘बूस्टर डोज’ लोन देकर राहत देने की कोशिश की है। राज्य की 13 चीनी मिलों को ‘एनसीडीसी’ (राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम) से 1,898 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया गया है। यह लोन आठ साल के लिए दिया गया है और इसे समय पर चुकाना होगा। ऐसा न करने पर मिलों पर दो प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना लगेगा। आपको बता दे की, आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रही राज्य की कुछ अन्य सहकारी चीनी मिलें भी सरकारी सहायता का इंतजार कर रही है।
लोन भुगतान के लिए आठ साल की समयसीमा…
आठ साल के लिए दिए गये इस लोन में दो साल का ग्रेस पीरियड होता है। राज्य सरकार और सहकारी चीनी मिलों को निर्देश दिए गए हैं कि, इस ऋण का उपयोग सबसे पहले उन बैंकों के टर्म लोन के लिए किया जाए, जिनसे चीनी मिलों ने उधार लिया है, फिर पूंजीगत व्यय और नियोजित सीजन के लिए शेष राशि के लिए इस्तेमाल हो। महाराष्ट्र सरकार और क्षेत्रीय निदेशालय पुणे को लोन का उपयोग सही तरीके से हो रहा है या नहीं, इस पर भी नजर रखने को कहा गया है।साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस ऋण का उपयोग निदेशकों के वेतन या पारिश्रमिक के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार का सराहनीय फैसला : पी.जी.मेढ़े (वरिष्ठ चीनी उद्योग विश्लेषक)
इस फैसले के बारे में ‘चीनी मंडी’ से बात करते हुए वरिष्ठ चीनी उद्योग विश्लेषक पी.जी.मेढ़े ने कहा कि, 2019 के बाद से पिछले पांच वर्षों में गन्ने का एफआरपी (FRP) 2750 रुपये से पांच गुना बढ़ाकर 3450 रुपये प्रति टन कर दिया गया है, लेकिन चीनी का एमएसपी (MSP) उस हद तक नहीं बढ़ाया गया। इसलिए, चीनी मिलों को प्रति टन 500 से 600 रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है, और ऋण लेकर किसानों को एफआरपी का भुगतान करना पड़ता है। इससे फैक्टरियों को करोड़ों का नुकसान होने से कर्ज बढ़ गया है और नेटवर्थ/एनडीआर निगेटिव होने से फैक्टरियों के खाते एनपीए में चले गए हैं। इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार का यह फैसला चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया कदम कहा जा सकता है। हालांकि यह नीति केवल 13 मिलों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि आर्थिक परेशानियों का सामना करनेवाली सभी चीनी मिलों को लागु करना चाहिए। चीनी मिलों के सभी ऋणों को 10 वर्ष की अवधि के लिए पुनर्गठित करना और दो वर्ष की मोहलत अवधि देना आवश्यक है। इसके अलावा पहले की तरह ब्याज सब्सिडी योजना की घोषणा करना जरूरी है। वहीं, चूंकि अगला सीजन करीब आ रहा है, इसलिए चीनी का एमएसपी 42 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने और एथेनॉल की कीमत भी उसी हिसाब से बढ़ाने पर विचार करना जरूरी है।
विधायक विनय कोरे, विधायक मकरंद पाटिल, विधायक प्रकाश सोलंके की फैक्ट्रियों को भी मिला लोन…
■ श्री तात्यासाहेब कोरे वारणा सहकारी साखर कारखाना लि. वारणानगर, कोल्हापूर : ३५० करोड़
■ राजगड सहकारी साखर कारखाना लि., अनंतनगर निगडे, पुणे : ८० करोड़
■अंबाजोगाई सहकारी साखर कारखाना लि., अंबासाखर, बीड : ८० करोड़
■सहकार महर्षी शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना, अहमदनगर : १२५ करोड़
■लोकनेते सुंदररावजी सोळंके सहकारी साखर कारखाना लि., सुंदरनगर, बीड : १०४ करोड़
■ श्री संत दामाजी सहकारी साखर कारखाना लि., मंगळवेढा, सोलापूर : १०० करोड़
■ श्री वृद्धेश्वर सहकारी साखर कारखाना लि., आदिनाथनगर, अहमदनगर : ९९ करोड़
■ लोकनेते मारुतराव घुले पाटील ज्ञानेश्वर सहकारी साखर कारखाना लि. नेवासा, अहमदनगर : १५० करोड़
■ किसनवीर सातारा सहकारी साखर कारखाना लि., भुईज, सातारा : ३५० करोड़
■किसनवीर खंडाळा सहकारी साखर उद्योग लि., खंडाळा, सातारा : १५० करोड़
■ अगस्ती सहकारी साखर कारखाना, लि., अगस्तीनगर, अहमदनगर : १०० करोड़
■ श्री विठ्ठलसाई सहकारी साखर कारखाना लि. धाराशिव : १०० करोड़
■सहकार महर्षी शिवाजीराव नारायणराव नागवडे सहकारी साखर फॅक्टरी लि., श्रीगोंदा, अहमदनगर – ११० करोड़