नैनीताल : उच्च न्यायलय ने सितारगंज किसान सहकारी चीनी मिल और उसकी 86 एकड़ भूमि को 100 रुपये के स्टाम्प पर निजी हाथों में सौंपने के मामले में प्रदेश सरकार और अन्य पक्षकारों को जवाब पेश करने के निर्देश दिए है। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। हिंदुस्तान समाचार में प्रकाशित खबर के अनुसार, गन्ना उत्पादक राजेन्द्र सिंह और अन्य ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 2017 में प्रदेश के गन्ना विकास सचिव की ओर से मनमाना कदम उठाते हुए चीनी मिल को बंद करने के आदेश जारी कर दिये गये। सरकार की ओर से इसके लिए किसान सहकारी समिति की अनुमति नहीं ली गई।
साल 2020 में सरकार ने सितारगंज की उप जिलाधिकारी को चीनी मिल में लिक्विडेटर नियुक्त करते हुए चीनी मिल को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी। पिछले वर्ष सरकार ने 19 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड को-आपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन लिमिटेड की ओर से चीनी मिल को जेएनएन शुगर्स और बायो फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड को 30 वर्ष के लिए लीज पर सौंप दिया गया। साथ ही चीनी मिल की 86 एकड़ भूमि को भी 100 रुपये के स्टाम्प पर कंपनी को सौंप दी गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत से सरकार के इस मनमाने कदम पर रोक लगाने की मांग की गई है।