कर्नाटक: मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग से मायशुगर के बिजली बिल बकाया माफ करने की अपील की जांच करने का निर्देश दिया

मांड्या : मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने वित्त विभाग के अधिकारियों को राज्य के स्वामित्व वाली मैसूर शुगर कंपनी लिमिटेड, जिसे मायशुगर के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा ₹52.25 करोड़ के बिजली बिल माफ करने की अपील की जांच करने का निर्देश दिया है। एमएलसी दिनेश गुलीगौड़ा, जिन्होंने राज्य सरकार से मायशुगर की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए उसके बिजली बिल बकाया माफ करने का आग्रह किया था, ने कहा कि श्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक सरकार के वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से मामले की जांच करने और इसे कैबिनेट के समक्ष लाने को कहा है। गुलीगौड़ा ने कहा कि, मायशुगर ने पिछले 25 वर्षों से अपने बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है और चामुंडेश्वरी विद्युत आपूर्ति निगम (CESC) लिमिटेड को ₹52.25 करोड़ का बिल चुकाना बाकी है।

द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, CESC ने मायशुगर के महाप्रबंधक को एक नोटिस भी दिया था कि अगर वह अपना बकाया बिजली बिल नहीं चुकाते है तो वह फैक्ट्री की बिजली आपूर्ति काट देगा। CESC की ओर से बिजली काटने की चेतावनी चीनी मिल द्वारा पेराई शुरू करने से कुछ सप्ताह पहले आई है। हालांकि, दिनेश गुलीगौड़ा ने कहा कि खराब वित्तीय स्थिति में चल रही मायशुगर, बिजली के बकाए का भुगतान करने पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने पर आगामी सीजन में गन्ना पेराई नहीं कर पाएगी। लेकिन, क्षेत्र के बड़ी संख्या में गन्ना किसान अपने गन्ने की पेराई के लिए मायशुगर पर निर्भर हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि मायशुगर के बिजली बकाए को माफ करने के लिए कैबिनेट के फैसले की जरूरत है।

गुलीगौड़ा ने दावा किया कि, मायशुगर में पेराई का काम कुछ वर्षों से बंद था, लेकिन पिछले साल कांग्रेस सरकार द्वारा मामले में गहरी दिलचस्पी लेने के बाद इसे फिर से शुरू किया गया। कांग्रेस सरकार द्वारा 35 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी सहित 50 करोड़ रुपये मंजूर किए जाने के बाद ही चीनी मिल ने फिर से काम शुरू किया। सरकार की वित्तीय सहायता के कारण, मायशुगर पिछले साल लगभग 2.41 लाख टन गन्ना पेराई कर सका। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मिल अतिरिक्त पेराई करने की योजना बना रहा है। उन्होंने क्षेत्र के गन्ना किसानों के लाभ के लिए चीनी मिल के बिजली बकाये को माफ करने की मांग भी उठाई।

 

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