कोल्हापुर: पश्चिम बंगाल में व्यापारियों को खुश करने के लिए सरकार ने चीनी मिलों को 20 प्रतिशत जूट की बोरियों का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर चीनी मिलों और केंद्र सरकार के बीच अभी भी खींचतान जारी है। केंद्र सरकार ने जूट की बोरियों को लेकर एक बार फिर महाराष्ट्र की चीनी मिलों को मुश्किल में डाल दिया है। सरकार द्वारा बनाये गये मापदंडों के कारण ही जूट के उपयोग में कठिनाइयां उत्पन्न हो गयी है।जूट बैग की कीमत भी अधिक होने के कारण फैक्ट्रियों का इनकार जारी है। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को गन्ने के कुल उत्पादन का 20 प्रतिशत उपयोग करने के लिए बाध्य किया है।
केंद्र सरकार द्वारा जूट की बोरियों के उपयोग के लिए तय किए गए मापदंड अब मुसीबत बनते जा रहे हैं। मापदंड हैं कि फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाली बोरियां आईएसआई मार्क की होनी चाहिए, और केवल 50 किलो की बोरी ही इस्तेमाल की जानी चाहिए। एक प्लास्टिक बैग 25 रुपये में उपलब्ध है, लेकिन ज्यूट की बोरियां 50 से 60 रुपये में मिलती है। इसके चलते चीनी मिलें और सरकार के बीच संघर्ष जारी है। इस बारे में ‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए चीनी उद्योग के विशेषज्ञ, वरिष्ठ पत्रकार प्रो. एम.टी. शेलार ने कहा कि, राज्य की चीनी मिलें इस समय आर्थिक तंगी से गुजर रही हैं। चीनी निर्यात प्रतिबंध और एथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध ने मिलों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। यदि इसमें जूट का प्रयोग किया गया तो फैक्टरियों पर आर्थिक संकट गहराने वाला है।