बीसलपुर: उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां गन्ने की कहती का रकबा लगातर बढ़ रहा है। पारम्परिक गन्ने के खेती के साथ साथ गन्ना किसानों का प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर झुकाव बढ़ रहा है। वही दूसरी तरफ पीलीभीत जनपद में किसान गन्ने के खेती से दुरी बनाते नजर आ रहे है। इस गन्ना समिति क्षेत्र के लगभग 10 हजार किसानों ने इस वर्ष गन्ने की खेती छोड़ दी है। खासकर बीसलपुर नगर, बिलसंडा कस्बा, बरखेड़ा कस्बा, टिकरी, मधवापुर, मसीत, रंभोजा, पैनिया हिम्मत, मुड़िया बिलहरा, बमरोली, भीकमपुर, बहादुर पुर, नवादा महेश, मुड़िया कुंडरी, नरायनपुर, जोगीठेर, ज्योरह कल्याणपुर, ईंटगांव, कनपरा, दौलतपुर पट्टी, बैरा, भदेंगकंजा, रसायाखानपुर, चुर्रासकतपुर, पुरैनिया रामगुलाम और साबेपुर के किसान गन्ना खेती से दूरी बना रहे है।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर में कहा गया है की, सहकारी गन्ना विकास समिति क्षेत्र के अभिलेखों के अनुसार यहां सदस्य तो लगभग 94 हजार हैं लेकिन गन्ना आपूर्तिकर्ता केवल 60 हजार किसान ही हैं। पिछले माह जब किसानों के खेतों में खड़े गन्ने का पर्यवेक्षकों की ओर से सर्वेक्षण कराया गया तो पता चला कि,समिति क्षेत्र में केवल 50 हजार किसानों ने ही गन्ने की खेती की है।10 हजार किसानों ने गन्ने की खेती के स्थान पर धान की खेती की है। गन्ने की खेती छोड़ने वालों में सर्वाधिक किसान बजाज हिंदुस्तान चीनी मिल की बरखेड़ा और मकसूदापुर इकाइयों से जुड़े हुए हैं।