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मुंबई : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में सुखे की वहज से आनेवाले सीझन में गन्ना फसल क्षेत्र 28.5 प्रतिशत कम हुई है, और उसी वजह से गन्ना उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसका सीधा असर चीनी उत्पादन पर होने की पुरी संभावना है और गन्ना किसानों को अच्छे दाम मिलने के पुरे आसार है। इन सभी हालातों को देखते हुए 2019- 2020 चीनी सीझन में गन्ना किसानों को ‘अच्छे दिन’ आने की संभावना है, दुसरी तरफ चीनी मिल पूरी कार्यक्षमता से चलाने के लिए मिलर्स को जद्दोजहद करनी पड सकती है।
भारत ने पिछले दो सत्रों में लगातार 320-330 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। इन वर्षों में मांग 250 से 260 लाख टन रही है और इसलिए 1 अक्टूबर 2018 को चीनी अधिशेष लगभग 107 लाख टन से, चालू सीजन में मौसम के अंत तक लगभग 145 लाख टन होने की उम्मीद है और 145 लाख टन अधिशेष के साथ अगले सीजन की शुरुवात होगी।
हालांकि, महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक के गन्ना क्षेत्र सूखे से काफी प्रभावित हुए है, इसीलिए अगले सीजन में चीनी उत्पादन 330 लाख टन से घटकर 280 -290 लाख टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। महाराष्ट्र, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है, सूखे की मार झेल रहा है। इसके चलते अकेले महाराष्ट्र से अगले सीजन में लगभग 40 लाख टन की गिरावट की आशंका जताई रही हैं।
महाराष्ट्र में गन्ने को राजनयीक मायनों मे काफी संवेदनशील फसल के रूप में देखा जात है। अगला सीझन शुरू होते समय राज्य विधानसभा चुनाव भी होनेवाले है। इस चुनाव में गन्ने को मिलने वाली दर का काफी असर देखने को मिल सकता है। सत्ताधारी भाजप-शिवसेना गठबंधन, काँग्रेस-रांकापा और किसान संगठन सभी चुनाव में गन्ने का मुद्दा भुनाने की कोशिश कर सकते है।
चीनी उत्पादन घटने से मिलों को अधिशेष चीनी की समस्या से कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन दुसरी तरफ चीनी निर्यात भी घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। भारत चीनी उत्पादन में दुनिया का ब्राझील के बाद दुसरा बडा देश है, अगर भारत में चीनी उत्पादन घटता है तो आंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दरों में तेजी देखी जा सकती है।