गन्ना अब सिर्फ चीनी उद्योग के अलावा और कई उद्योगों में तेजी से इस्तेमाल में लाया जा रहा है। गन्ने के बाय प्रोडक्ट कई उद्योग में अहम् भूमिका निभा रहे है।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) ने गन्ने की खोई से निकाले नैनो सेल्युलोज को कंक्रीट में मिलाकर ऐसा समिश्रण परखा है, जो भवनों की मजबूती को 25 फीसदी तक बढ़ाने में सक्षम है। इससे भवनों में दरारें नहीं आएंगी। इमारत मजबूत होगी तो भूकंप जैसी आपदा से होने वाली तबाही भी घटाई जा सकेगी।
एमएनएनआईटी में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंकुर गौर ने कंक्रीट में नैनो सेलुलोज के इस्तेमाल का परीक्षण किया। इसमें शोधकर्ता सजल अग्रवाल का भी अहम योगदान रहा है। डॉ. गौर के मुताबिक, एक बैग सीमेंट से तैयार कंक्रीट में करीब 150 ग्राम नैनो सेलुलोज मिलाना होगा। इससे मिश्रण की तन्य शक्ति और संपीड़न शक्ति 25 फीसदी बढ़ जाएगी।
कंक्रीट में इस मजबूती के कारण इमारत की मजबूती बढ़ती है। दरारें भी नहीं आतीं। यह भी दावा किया जाता है कि मजबूती बढ़ने से चंद सेकंड में इमारतों के ढहने से होने वाली तबाही को भी कम किया जा सकता है। शोध के नतीजे जापान के जर्नल ऑफ मैटेरियल साइकल्स एंड वेस्ट मैनेजमेंट में प्रकाशन के लिए भेजे गए हैं।
प्रो. एलके मिश्रा, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, एमएनएनआईटी ने कहा है की कंक्रीट में नैनो सेल्युलोज डालने से उसकी टेंसाइल और कंप्रेसिव स्ट्रेंथ बढ़ती है। टेंसाइल स्ट्रेंथ जितनी अधिक होगी इमारत में दरारें भी उतनी ही कम पड़ेंगी। गन्ने की खोई से निकाला गया सेल्युलोज प्राकृतिक होने के कारण इससे किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं है। –
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