उत्तर प्रदेश में मक्के से एथेनॉल बनाने की तैयारी पर जोर; चीनी मिल संचालकों से भी बातचीत जारी

लखनऊ: केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। एथेनॉल का उत्पादन गन्ना, धान, मक्के और अन्य स्रोत से होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में मक्के से एथेनॉल तैयार करने की तैयारी शुरू हो गई है, और कृषि विभाग और चीनी मिल संचालकों के बीच लगातार बातचीत जारी है। हर चीनी मिल क्षेत्र में मक्के का रकबा भी चिह्नित किया जाएगा, और इसे चार साल में दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में करीब 15 कंपनियां एथेनॉल तैयार करती हैं। इनकी संख्या भी बढ़ाने की तैयारी है।

अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मक्के से एथेनॉल उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में यह खरीफ, जायद और रबी सीजन में उगाई जाती है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने त्वरित मक्का विकास योजना शुरू की है। इसके लिए 2024-25 में 27.68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुवाई होती है और उत्पादन 21.16 लाख मीट्रिक टन है। रकबा दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने और उत्पादन अतिरिक्त करने की तैयारी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि नामक परियोजना शुरू की है। इसे भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) संचालित कर रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित 15 राज्य चुने गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि निदेशक जितेंद्र सिंह तोमर ने कहा, प्रदेश में मक्के से एथेनॉल उत्पादन की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है। खरीफ सीजन में अब तक करीब 90 फीसदी मक्के की बुवाई हो गई है। चीनी मिल संचालकों से भी बातचीत हो गई है। मक्के की फसल आने तक एथेनॉल के लिए खरीद शुरू कराने की तैयारी है।

एथेनॉल बनाने वाली कंपनियों को सहकारी एजेंसियों से तय दर पर मक्के की आपूर्ति मिलेगी। इससे किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी मिल सकेगा।संयुक्त निदेशक आरके सिंह ने कहा कि, यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें किसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा। मक्के में नमी करीब 28 से 30 फीसदी होती है। ऐसे में कटाई के बाद इसमें फंगस लगने का डर रहता है। किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए 15 लाख के ड्रायर पर 12 लाख का अनुदान दिया जाएगा। कोई भी किसान उत्पादन संगठन सिर्फ तीन लाख लगाकर इसे खरीद सकेगा। किसानों को मक्का अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्हें संकर बीज दिलाया जाएगा और तकनीक से वाकिफ कराया जाएगा।

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