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मुंबई : चीनीमंडी
केंद्र सरकार की तरफ से तय 31 रूपये प्रति किलोग्राम न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) पर चीनी बेचने में महाराष्ट्र की मिलों को परेशानी हो रही है। दूसरी तरफ एफआरपी बकाया मामले में चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा किये जा रहे कड़े कदम के चलते राज्य की कई मिलें थर्ड पार्टी कोटा का इस्तेमाल करके ‘एमएसपी’ से कम कीमत पर चीनी का निर्यात कर रही हैं। महाराष्ट्र में मिलों के थर्ड पार्टी कोटा के इस्तेमाल से 3-4 लाख टन चीनी 28-28.50 रुपए प्रति किलो भाव पर बेचे जाने का अनुमान है। मिलें इस स्थितियों से बाहर निकलने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगा रही है।
रिकॉर्ड उत्पादन और ठप बिक्री के कारण कई मिलों के गोदाम चीनी से भरे पड़े है, कई मिलों के सामने तो चीनी को रखने की लागत बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। बारिश का सीजन कगार पर है फिर भी कुछ मिलों को चीनी खुले में रखनी पड़ रहा है। बारिश से चीनी खराब होने का खतरा बना हुआ है। चीनी के कारोबारियों के अनुसार महाराष्ट्र को आवंटित चीनी का मासिक कोटा करीब-करीब हर महीने बच रहा है। 2018-19 के पेराई का सीजन अंतिम चरण में है। इस साल देश में चीनी का कुल उत्पादन 330 लाख टन रहने का अनुमान है। 1 अक्टूबर, 2019 से पेराई का नया सीजन शुरू होने पर देश में चीनी का शुरुआती स्टॉक लगभग 145 लाख टन रह सकता है।
हालही में नेशनल को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक में 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की स्कीम आगे बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने चीनी के भाव बढ़ाने में मदद के लिए स्टॉक की मात्रा बढ़ाकर 50 लाख टन करने की जरूरत बताई। ऐसा करने से सप्लाई चेन से अतिरिक्त चीनी हट जाएगा। फेडरेशन ने चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य भी 31 रुपए प्रति किलो के मौजूदा स्तर से बढ़ाने की मांग की है।