मांड्या, कर्नाटक: लगभग एक सदी पुरानी सरकारी स्वामित्व वाली मैसूर शुगर्स कंपनी लिमिटेड (माईशुगर फैक्ट्री) की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं, क्योंकि एक ताजा घटना में चीनी मिल को कथित तौर पर एक मजदूर ठेकेदार ने 2 करोड़ रुपए ठग लिए, जिसने विजयपुरा और बल्लारी जिलों से मजदूरों को लाकर गन्ना काटने का वादा किया था।
‘माईशुगर बचाओ’ कार्यक्रम में बोलते हुए, एडीसी डॉ. एचएल नागराजू, जो माईशुगर के एमडी भी हैं, ने कहा कि एक ठेकेदार विजयपुरा और बल्लारी से गन्ना काटने के लिए मजदूरों को लेकर आया था। इसके बाद, उन्होंने (नागाराजू ने) मिस्त्री को 2 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया, क्योंकि उन्होंने वादा किया था कि फैक्ट्री की आपूर्ति के लिए गन्ना काटा जाएगा। लेकिन अब, कोई भी मजदूर गन्ना काटने में नहीं लगा है और यहां तक कि ठेकेदार, जिसे पैसे दिए गए थे, गायब हो गए हैं और इस तरह उन्हें दिए गए पैसे वापस पाना मुश्किल हो गया है।
नागराजू ने कहा कि, यह मुद्दा उन्हें हर पल परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा कि, माईशुगर के एमडी के रूप में वे किसानों द्वारा पूर्ण विकसित गन्ने की कटाई के लिए मजदूर भेजने के लगातार आह्वान का जवाब देने में असमर्थ हैं। उन्होंने दोहराया कि गन्ना उत्पादकों की दुर्दशा देखकर उन्हें बहुत दुख हो रहा है। उन्होंने दुख जताया कि स्थानीय युवा गन्ना कटाई के लिए आगे नहीं आ रहे हैं और इस तरह मिल को दूरदराज के जिलों से मजदूरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि, मिल के पुनरुद्धार की उनकी सभी उम्मीदें धराशायी हो गई हैं।
उन्होंने मजदूर ठेकेदार से मजदूरों को लाने और गन्ना कटाई शुरू करने का आग्रह किया, जिससे दिनों के साथ उपज कम होती जाएगी। इस बीच माईशुगर मिल के अध्यक्ष सी.डी. गंगाधर ने नुकसान की राशि का विरोधाभास करते हुए कहा कि मजदूर ठेकेदार ने मिल के एमडी डॉ. नागराजू द्वारा घोषित 2 करोड़ रुपये नहीं बल्कि 1 करोड़ रुपये ले लिए हैं। इस विरोधाभासी बयान ने उत्पादकों के बीच भ्रम पैदा कर दिया है। गंगाधर ने यह स्वीकार किया कि, उत्तर कर्नाटक के मजदूर ठेकेदार (मैस्त्री) ने मजदूरों को न लाकर मिल के साथ धोखाधड़ी की है। उन्होंने कहा कि, अग्रिम भुगतान 2 करोड़ रुपये नहीं बल्कि 1 करोड़ रुपये था। उन्होंने आगे कहा कि यह सच है कि विजयपुरा और बल्लारी जिलों से मजदूर नहीं आए हैं और इस कारण गन्ना कटाई का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
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