कर्नाटक में किसानों के मुद्दे दरकिनार किया गया: कुरबुर शांताकुमार

बेंगलुरु, कर्नाटक: द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, राज्य गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुरबुर शांताकुमार ने कहा की, मैसूर जिले में किसान गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में बढ़ोतरी को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। गन्ने की खेती की लागत ही 4,000 रुपये प्रति टन से अधिक है और यह एफआरपी से अधिक है, जिसके बारे में किसानों का कहना है कि यह न तो उचित है और न ही लाभकारी और न ही सरकार में कोई भी उनकी बात सुन रहा है। इसके अलावा, किसानों ने गन्ना उप-उत्पादों के प्रसंस्करण के माध्यम से उत्पन्न राजस्व का एक उचित हिस्सा भी मांगा है, लेकिन इसे अभी तक नजरअंदाज किया गया है और वे राज्य में इस मौजूदा राजनीतिक माहौल के बीच संबंधित मंत्रियों से मिलने में असमर्थ हैं। संघ के सचिव शांताकुमार अट्टाहल्ली देवराज ने कहा कि मैसूरु-मांड्या बेल्ट में सिंचाई पर निर्भर किसान इस वर्ष संकट में हैं क्योंकि अधिकांश झीलों और टैंकों में अभी भी पानी भरा जाना बाकी है।

शांताकुमार ने कहा, पिछले कुछ हफ्तों में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच बढ़ती नाराज़गी के बीच किसानों ने कृषि संकट और अन्य ज्वलंत मुद्दों के प्रति राज्य में राजनीतिक व्यवस्था की उदासीनता पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। शांताकुमार ने ‘द हिंदू’ को बताया कि, ऐसा कोई नहीं है जिसके साथ किसान अपनी शिकायतों पर चर्चा कर सकें क्योंकि संबंधित मंत्री, निर्णयकर्ता, राजनीति में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि, पिछले साल पूरा राज्य अभूतपूर्व सूखे की चपेट में था, लेकिन इस साल अत्यधिक बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में फसलें बर्बाद हो गई हैं, जबकि किसानों की कर्ज माफी आदि की लंबित मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। शांताकुमार ने कहा, मंत्रिमंडल के लगभग सभी मंत्री मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा अवैध रूप से भूखंड आवंटित करने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ भाजपा-जद(एस) गठबंधन के आरोपों का जवाब देने में व्यस्त हैं, जिसके परिणामस्वरूप अन्य सभी मुद्दे पीछे छूट गए हैं।

हालांकि अच्छी बारिश के कारण बुवाई का रकबा अधिक था, लेकिन अत्यधिक बारिश के कारण स्थानीय स्तर पर बाढ़ आई जिससे फसलें प्रभावित हुईं। देवराज ने कहा कि जिला प्रभारी मंत्री और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया और अत्यधिक बारिश से हुई तबाही से अवगत कराया। लेकिन देवराज के अनुसार कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं की गई और किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिला।

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