एथेनॉल के साथ चीनी की बिक्री दर बढ़ाने की मांग: ‘विस्मा’ के पदाधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री गडकरी, जोशी से की मुलाकात

नई दिल्ली: चीनी उद्योग पिछले कुछ सालों से लगातार चीनी के एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है। चीनी उद्योग की उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण केंद्र सरकार एथेनॉल के साथ चीनी की बिक्री मूल्य बढ़ाने और चीनी के निर्यात को मंजूरी देने के पक्ष में मानी जा रही है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे और रेणुका शुगर के कार्यकारी निदेशक रवि गुप्ता ने हाल ही में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, और खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की।

इस अवसर पर ठोंबरे और गुप्ता ने कहा कि, पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार गन्ना उत्पादन की लागत के आधार पर गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) बढ़ा रही है, लेकिन चीनी का अधिकतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ाया गया है। चीनी का एमएसपी फिलहाल 3100 रुपये प्रति क्विंटल ही है।हालांकि, अब चीनी की उत्पादन लागत औसतन 4100 से 4200 रुपये तक पहुंच गयी है। इससे चीनी उद्योग को भारी आर्थिक झटका लग रहा है। इसलिए, उन्होंने कहा कि एथेनॉल की खरीद दर में वृद्धि के साथ-साथ चीनी की बिक्री दर में वृद्धि करना और चीनी के निर्यात को बढ़ावा देना जरुरी है।

मंत्री गडकरी को बताया गया कि, चीनी मिलों के प्रबंधन, उत्पादन लागत और वास्तविक बिक्री से प्राप्त धन के बीच विसंगति के कारण कई चीनी मिलें घाटे में चली गई हैं। यदि चीनी उद्योग को आर्थिक संकट से उबरना है तो केंद्र सरकार को चीनी का औसत बिक्री मूल्य 4,200 रुपये प्रति क्विंटल पर लाना चाहिए। साथ ही चीनी के निर्यात को हर साल स्थायी रूप से अनुमति दी जानी चाहिए। परिणामस्वरूप, देश में कोई अतिरिक्त चीनी स्टॉक नहीं होगा। ‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने कहा कि, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रह्लाद जोशी को चीनी उद्योग की स्थिति से अवगत कराया गया है। साथ ही एथेनॉल की खरीद दर के साथ-साथ चीनी का एमएसपी बढाने औए चीनी निर्यात को बढ़ावा देने की पुरजोर मांग की है।

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