अहमदाबाद : बंद हो चुकी मांडवी शुगर को-ऑपरेटिव सोसाइटी को “निजी हाथों में जाने” से बचाने के प्रयास में, पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री मुकेश पटेल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अन्य नेताओं के साथ सहकारिता राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा से मुलाकात की और अपना पक्ष रखा।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि, गुजरात में शुगर को-ऑपरेटिव्स गुजरात को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 1961 के अनुसार चलती हैं। साथ ही बैंक SARFAESI एक्ट के तहत संपत्ति और मशीनरी को सीधे किसी अन्य निजी पार्टी को नहीं बेच या नीलाम नहीं कर सकता। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी मांग की कि, राज्य सरकार मांडवी शुगर के IEM (इंडस्ट्रियल एंटरप्रेन्योर मेमोरेंडम), जो फैक्ट्री चलाने का लाइसेंस है, को जुन्नार शुगर लिमिटेड को हस्तांतरित न करे।
मंत्री पटेल ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, हमने राज्य मंत्री और मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया है और मांडवी शुगर का मुद्दा सामने रखा है। मंत्री विश्वकर्मा ने भी हमें आश्वासन दिया है कि, मामले के कानूनी पहलुओं को देखते हुए किसानों के पक्ष में फैसला लिया जाएगा। पटेल के साथ सूरत की चोर्यासी सीट से भाजपा विधायक संदीप देसाई भी मौजूद थे। देसाई चलथान शुगर कोऑपरेटिव सोसाइटी के निदेशक भी हैं। उनके साथ दक्षिण गुजरात की सात शुगर को ऑपरेटिव सोसायटियों के अध्यक्ष भी मौजूद थे।
मांडवी शुगर बचावो किसान समिति के अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि, मांडवी शुगर मिल 2015 में शुरू हुई थी और 2017 में बंद हो गई। इस सहकारी समिति के 55 हजार सदस्य हैं, जिनका मांडवी शुगर से कुल 23.87 करोड़ रुपये का कर्ज वसूला जाना है। वडोद गांव में मिल लगाने के लिए किसानों ने एक संस्था बनाई, चंदा दिया और राज्य सरकार से 20 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। इसके अलावा मिल के निर्माण और मशीनरी खरीदने तथा मिल चलाने के लिए किसान संस्था ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में विभिन्न बैंकों से 94.10 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।