सार्क सम्मेलन मे चीनी प्रसंस्करण उद्योग को बढावा देने के लिये वित्तीय सहयोग पर रहेगा भूटान का फोकस

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थिंपू,भूटान, 24 जून, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन यानि सार्क देशों का कृषि सम्मेलन इस बार भूटान में होने जा रहा है। आगामी 27-29 जून तक भूटान की राजधानी थिंपू में आयोजित होने जा रहे सार्क सम्मेलन का इस बार भूटान मेजबान देश है। सम्मेलन का आयोजन भूटान की राजधानी थिंपू में आयोजित होगा। सम्मेलन के लिए भारत, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव, अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका और पाकिस्तान को निमंत्रण भेजा जा चुका है।

सम्मेलन में कृषि से जुड़े भूटान के मुद्दों पर बात करते हुए रॉयल भूटान सरकार के कृषि एवं वन मंत्री येशे पेंजोर ने कहा कि क्षेत्रफल के लिहाज़ से भूटान छोटा देश है। हमारे यहाँ कुल क्षेत्रफल में से 13.79 पर ही कृषि होती है। इसमें गन्ने की खेती की बात करें तो भूटान के सरपंग, सामची, मोंगर, समड्रक जोरंगखा, तासीगंज और चिरांग जिलों में सिमित क्षेत्रफल में गन्ने की खेती हेती है। इस कारण यहाँ पर गन्ना प्रसंस्करण उद्पयोग ज्यादा नहीं पनपा। दक्षिणी भूटान के इन जिलों में एक चीनी मिल की ज़रूरत है लेकिन कम उत्पादन के कारण चीन उद्योग यहाँ विकसित नहीं हो पाया। 1990 के दशक में हमने यहाँ सरकारी चीनी मिल के लिए प्रोजेक्ट शुरु किया था लेकिन आर्थिक कमी के कारण मूर्त रूप नहीं दे पाए।

पेंजोर ने कहा कि इस बार सार्क कृषि सम्मेलन में हमारा पूरा ध्यान रहेगा कि सार्क के सहयोग से दक्षिणी भूटान में चीनी मिल लगाने के लिए सार्क सहयोग से फ़ंड की व्यवस्था हो। कृषि मंत्री ने कहा कि सार्क बायलॉज में सहयोगी देशों में कृषि और किसानों के कल्याण के लिये नीतिगत सहयोग व वित्तीय सहयोग का प्रावधान है। ऐसे में मेजबान देश के किसानो के लिए सार्क द्वारा सुगर मिल बनाने के समझौते पर सहमति बन जाती है तो यहाँ के गन्ना किसानों को उनके गन्ना के प्रसंस्करण होने से अच्छे दाम मिलने लगेंगे और चीनी कारख़ाना लगने से स्थानीय लोगो के लिए रोज़गार के अवसर भी श्रृजित होंगे।

कृषि मंत्री ने कहा कि यहाँ चीनी चीनी मिल लगती है तो इससे भारत भूटान बॉर्डर के नज़दीक स्थित अंतराष्ट्रीय सीमा से सटे राज्य के गन्ना किसानों को भी लाभ होगा।

कृषि मंत्री येशी पेंजोर ने कहा चीनी कारख़ाना नहीं होने के कारण यहाँ गन्ना प्रसंस्करण उद्योग आज भी परंपरागत तौर तरीक़ों से चल रहा है इससे यहाँ गन्ना से तैयार उत्पादों की गुणवत्ता के मामले में हम पीछे रह रहे है फलस्वरूप जैविक गन्ना उत्पादन होने ते बावजूद किसानों को गुड- शक्कर का अपेक्षित भाव नहीं मिलता।

भूटान के आर्थिक मामलात विभाग के निदेशक योन्टेन नाम्गेल ने कहा कि भारत सें हमने 98 लाख 37 हज़ार किलो चीनी आयात की है अगर सार्क संगठन यहाँ चीनी मिल के लिए वित्तीय सहयोग करने पर सहमत हो जाते है तो भविष्य में हम ख़ुद गुणवत्ता मानकों पर आधारित चीनी तैयार कर सकेंगे जिससे चीनी आयात की ज़रूरतें पूरा करने के लिए भूटान को अन्य देशों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हालाँकि चीनी की कमी पूर्णरूप से तो पूरी नहीं होगी लेकिन आंशिक तौर पर हमें तत्काल आयात से राहत तो मिलेगी।

कृषि मंत्री ने कहा कि दक्षिण एशिया में भारत देश ऐसा है जहां बहुतायत में गन्ना का उत्पादित होता है ऐसे में भारत सरकार के सहयोग से भी अगर दक्षिण भूटान के जिलों चीनी मिल लगती है तो भूटान के साथ साथ अंतर्राष्टीय सीमा से सटे भारत के किसानों को भी इसका लाभ होगा जो भविष्य में दोनों देशों के नागरिकों के दिलों में व्यापार और कारोबार के जरिए रिश्तों की मिठास को मज़बूती प्रदान कराने का काम करेगा।

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