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अहमदनगर: चीनी मंडी
अहमदनगर जिले में मानसून में देरी के कारण पशु शिविरों से गन्ने के चारे की मांग बढ़ी है। जिससे जिले में केवल 80,000 हेक्टेयर क्षेत्र पर ही गन्ने की फसल बची है, इसीलिए आनेवाले सीझन में मिलों के पेराई पर बुरा असर पड़ सकता है। अहमदनगर जिले में 23 चीनी मिलें हैं, जिनको पूरी क्षमता से पेराई करने के लिए गन्ना मिलने में दिक्कत आ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर चीनी उत्पादन पर भी पड़ सकता है।
पिछले साल 1 लाख 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना फसल थी, लेकिन मानसून में देरी के कारण गन्ने का रकबा आधा कम हो गया है। बारिश नहीं होने से पशु शिविरों में गन्ने की मांग बढ़ गई है। जानवरों के लिए गन्ना प्रति टन 3500 से 4000 रूपये में बेचा जा रहा है, इतने पैसे तो किसानों को मिलों को गन्ना भेजने के बाद भी नही मिलता है। फसल के लिए पानी की कमी और पशु शिविरों को गन्ना बेचने से हो रही अच्छी आमदनी के कारण किसान हसीखुशी गन्ना बेच रहे है। १ अक्टूबर को नया चीनी सीझन शुरू होगा, लेकिन तब पेराई के लिए गन्ना मिले के पास उपयुक्त नहीं होगा इसलिए मिलर्स ने अभी से अनुबंध शुरू किया है, जिसमें गन्ने को क्षेत्र से बाहर लाने की योजना बनाई गई है, ताकि पेराई पूरी क्षमता से हो सके। गन्ने की कमी के कारण कुछ मिलें बंद रहने की संभावना है।