कानपुर : देश में गन्ना किसानों की आय बढ़ाने के साथ कम लागत में चीनी प्रसंस्करण तकनीक अपनाने जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए 26 जून से 28 जून तक कानुपर में राष्ट्रीय चीनी अनुसंधान संस्थान द्वारा कार्यपालक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम की तैयारियों पर मीडिय़ा से बात करते हुए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के शर्करा अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष और कार्यक्रम के प्रोफेसर डी शिवान ने कहा कि तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में 50 से अधिक डेलीगेट भाग लेंगे। इस सम्मेलन में चीनी उत्पादक राज्यों यूपी, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से विशेषज्ञ भाग लेने आ रहे है। इस सम्मेलन में सार्वजनिक और नीजि क्षेत्र से जुडी इंडस्ट्रीज के चैयरमेन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रबंध निदेशक, निदेशक, औऱ यूनिट प्रमुखों को ही आमंत्रित किया गया है।
सम्मेलन में कोई भी मुख्य अतिथि नहीं बुलाया गया है। पहले सत्र से लेकर अन्तिम सत्र तक अलग अलग विषयों पर विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे। जिनमें सामान्य प्रंबधन,उत्पाद प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन,कच्चा उत्पाद प्रबंधन, मानव संसाधन एवं पर्यावरण सुरक्षा के अलावा गुणवत्ता पूर्ण चीनी उत्पादन करने जैसे कई तरह के खुले सत्रों का भी आयोजन होगा।
सम्मेलन की रूपरेखा पर बात करते हुए प्रोफेसर डी शिवान ने कहा कि पहले दिन विभिन्न 6 सत्र होगे।
पहले सत्र में आईआईटी रुडकी के प्रोफसर विनय कुमार चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिेए प्रेरणादायी व्याख्यान देंगे। इसके अलावा अन्य सत्र में गन्ना की शुद्धता बनाये रखने पर सीएसआर विश्वविद्यालय द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा। इसके अलावा परियोजना प्रबंधन पर भी विशेषज्ञ अपनी बात रखेंगे, ये उद्बोधनों जेपीएन सुगर कंसल्टिंग फ़र्म पुणे के विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा। शाम के सत्रों में जीएससीएल ग्रुप के उपाध्यक्ष मथारु अपने विचार रखेंगे। चीनी नीति पर नेशनल सुगर इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफ़ेसर नरेन्द्र मोहन अपना विचार रखेंगे। इसके अलावा गन्ना उत्पादन व चीनी की लागत कम करने की तकनीकों को लेकर ग्लोबल कैन सुगर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जीएससी राव अपना व्याख्यान देंगे।
सम्मेलन में भाग लेने के लिए पांच हजार रुपये फीस ली जाएगी साथ ही आगन्तुकों को अपने स्तर पर आने जाने व रुकने की व्यवस्था करनी होगी।
सम्मेलन की सार्थकता पर बात करते हुए डी शिवान ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल चीनी और गन्ना उद्योग की चिन्ताओं के समाधान में मददगार साबित होते है बल्कि बदलते दौर के अनुरूप चीनी उद्योग को किस तरह की तकनीकी ज़रूरतों की आवश्यकता इसके मार्गदर्शन देने का काम भी करते है।