पिछले दो-तीन सालों से चीनी उद्योग आर्थिक संकट में फंसा है, जिससे गन्ना किसान, मिलर्स परेशान है। उतर प्रदेश में चीनी मिल प्रबंधन ने गन्ना विभाग से कहा है कि अगर पॉवर कारपोरेशन उनकी बिजली बिक्री के बुगतान कर दे तो गन्ना मूल्य चुकाने में शीघ्रता हो जाएगी।
गन्ना बकाया के मुद्दे पर योगी ने चीनी मिलों पर सख्ती दिखाई दिखाते हुए में कहा था की बकायों में देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि चीनी मिल मालिक अगस्त तक गन्ना किसानों का पूरा भुगतान करें।
संभल जिले के किसानों ने पेराई सत्र 2018-19 में 962.25 करोड़ रुपये का गन्ना चीनी मिलों को बेचा। इसमें 778.51 करोड़ रुपये का भुगतान चीनी मिलों के लिए किया जा चुका है। अब 183.74 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें संभल जिले की असमोली, रजपुरा और मझावली चीनी मिलों पर 124.03 करोड़ रुपये बकाया हैं। जबकि असमोली स्थित चीनी मिल को उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन से 43.40 और रजपुरा स्थित चीनी मिल को उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन से 55.58 करोड़ रुपये मिलने हैं। इस भुगतान में देरी हो रही है। इधर किसानों का गन्ना मूल्य फंसा हुआ है।
गन्ना नियंत्रण अधिनियम 1966 के अनुसार, एफआरपी भुगतान 14 दिनों के भीतर अनिवार्य हैं, लेकिन चीनी मिलें बकाया देने में विफल रहे है।
यूपी में चीनी मिलों को 2018-19 पेराई सत्र के दौरान गन्ना किसानों को 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना बाकी है।