कर्नाटक: ग्राम पंचायत ने प्लास्टिक के बदले चीनी देने की अनूठी पहल शुरू की

यादगीर: प्लास्टिक कचरे का निपटान राज्य और देश के कई स्थानीय निकायों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। हालांकि, वाडेगेरा तालुक में ताड़ीबिडी ग्राम पंचायत (जीपी) ने ग्रामीणों के लिए ‘हर किलो प्लास्टिक कचरे के बदले एक किलो चीनी’ देने की एक अनूठी पहल शुरू की है। पंचायत कचरे को इकट्ठा करती है, उसे रिसाइकिलिंग यूनिट में भेजने की योजना बनाती है और अर्जित धन से चीनी खरीदती है। जुलाई में 30 किलो चीनी के साथ इस पहल की शुरुआत हुई और अब यह 82 किलो चीनी वितरित करने तक विस्तारित हो गई है। इससे 82 किलो प्लास्टिक को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से फेंके जाने से प्रभावी रूप से रोका गया है, जिससे गांव प्लास्टिक मुक्त हो गया है। पंचायत विकास अधिकारी गोविंद राठौड़ ने ‘टीओआई’ को बताया कि, पहले आवारा और पालतू मवेशी कैरी बैग खा जाते थे। ग्रामीण लोग यहां-वहां प्लास्टिक का कचरा फेंक रहे थे, यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां वे कृषि जरूरतों के लिए गोबर जमा कर रहे थे।

परिदृश्य को देखते हुए, तालुका पंचायत के कार्यकारी अधिकारी मल्लिकार्जुन संगवार ने प्लास्टिक के लिए चीनी पहल शुरू करने का सुझाव दिया। जुलाई में इसकी शुरुआत 32 किलोग्राम से हुई और अब हमने 82 किलोग्राम प्लास्टिक जमा कर लिया है। जब वजन एक क्विंटल हो जाएगा, तो हम इसे सीमेंट कारखानों की किसी भी रीसाइक्लिंग इकाई में ले जाएंगे।उन्होंने कहा, अगर हम चीनी की खरीद पर खर्च किए गए पैसे से कम खर्च करते हैं, तो हम अपने जीपी फंड से अंतर का भुगतान करेंगे। ताडीबिडी जीपी अध्यक्ष उमरेड्डी ने कहा कि, वे केवल पानी की बोतलें, पानी के पैकेट, शैम्पू की बोतलें, कैरी बैग, चाय के कप, टूथब्रश आदि ही जमा कर रहे हैं। हमें प्लास्टिक के पाइप और बर्तन नहीं मिल रहे हैं क्योंकि वे भारी हैं। हमारे जीपी के अंतर्गत आने वाले ताडीबिडी और होंडेकल में जागरूकता कार्यक्रम के बाद, हमने स्कूली बच्चों के माध्यम से पर्चे बांटे हैं। अब लोग स्वेच्छा से प्लास्टिक का कचरा जमा कर रहे हैं और इसे जीपी में ला रहे हैं।

एक ग्रामीण बसलिंगप्पा हल्लिकेरी ने बताया कि, पिछले तीन महीनों में उन्हें 12 किलो प्लास्टिक के बदले 12 किलो चीनी मिली है। हमारे परिवार में 12 लोग हैं और हम 12 किलो चीनी पर पैसे बचा सकते हैं और यह हमारे लिए एक बड़ी बचत है।पहले हम प्लास्टिक का कचरा इधर-उधर फेंकते थे, लेकिन अब हमारे पास इसे रखने के लिए एक थैला है। हमें देखकर कई पड़ोसी हमारे पीछे आ रहे हैं। एक अन्य ग्रामीण शरणप्पा बंदल्ली ने बताया कि, उन्होंने प्लास्टिक का कचरा देकर 3-4 किलो चीनी खरीदी है। उन्होंने कहा, इस पहल के बाद अब गांव में प्लास्टिक के कचरे को स्टोर करना एक दिनचर्या बन गई है। आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा की, ताडीबिडी जीपी ने स्वच्छ, टिकाऊ और प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने का इरादा किया है। यह एक उदाहरण है कि हम अभिनव सोच से समाज को कैसे बदल सकते हैं।

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