पटना: बिहार सरकार प्रदेश में गन्ना और एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। दूसरी ओर किसान महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की तरह गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की मांग कर रहे है। गन्ना उद्योग विभाग ने चीनी मिलों को कहा है कि राज्य में गन्ना मूल्य बढ़ाया जाए। सरकार को डर है की, अगर गन्ना मूल्य की दर में वृद्धि नहीं की गयी तो किसान गन्ने की खेती छोड़ सकते है। इससे गन्ना क्षेत्र में कमी आने से चीनी मिलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस परिदृश्य में गन्ना उद्योग विभाग ने चीनी मिलों को निर्देशित कर दिया है कि, राज्य में गन्ना का मूल्य बढ़ाया जाए। गन्ना उद्योग विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव भी दिया है।
प्रभात खबर में प्रकाशित खबर के अनुसार, आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि सरकार की तरफ से प्रोत्साहन पैकेज -2006 और 2014 लाने के बाद चीनी मिलों की पेराई क्षमता में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, नई चीनी मिल स्थापित नहीं हो सकी है। हमारी चीनी मिलों को 10.77 प्रतिशत चीनी रिकवरी के बावजूद भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार गन्ना मूल्य में वृद्धि को लेकर गन्ना उद्योग विभाग की तरफ से आयोजित हालिया एक बैठक में विभागीय मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने चीनी मिल मालिकों से कहा है गन्ना के मूल्य में इजाफा होने से किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी।
इस दौरान गन्ना आयुक्त अनिल कुमार झा के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में गन्ना खेती की उत्पादन लागत प्रति हेक्टेयर बढ़ी है। इसलिए गन्ना मूल्य में वृद्धि जरूरी हो गयी है। इस विभागीय बैठक में बिहार शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी पाटोदिया ने बताया कि गन्ना मूल्य का भुगतान समय पर किया जाये। पाटोदिया ने गन्ना उद्योग विभाग से अनुरोध किया कि उत्तर-प्रदेश पेराई सत्र 2024-25 के लिए गन्ना मूल्य निर्धारण होने के बाद गन्ना मूल्य वृद्धि के संबंध में निर्णय लिया जाना उचित होगा। प्रभात खबर के अनुसार फिलहाल गन्ना मूल्य निर्धारण के संबंध में अगली बैठक 11 नवंबर को प्रस्तावित की गयी है।
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