नई दिल्ली : चार दिवसीय छठ पूजा में पूरे भारत में उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिलेगी, खास तौर पर बिहार और झारखंड के लोगों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में रहने वाले पूर्वांचली समुदाय के लोग भी इसमें शामिल होंगे। इस साल त्योहारी बिक्री पर नज़र रखने वाले अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) ने सोमवार को छठ के दौरान अपेक्षित बिक्री के आंकड़े जारी किए। CAIT का अनुमान है कि, इस त्योहार के दौरान देश भर में लगभग 12,000 करोड़ रुपये का व्यापार होगा।छठ पूजा अनुष्ठानों में लगभग 150 मिलियन लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।
दिल्ली में पूर्वांचली लोगों की अच्छी खासी आबादी है, इसलिए यहाँ छठ पूजा बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। चांदनी चौक, सदर बाज़ार, मॉडल टाउन, अशोक विहार, शालीमार बाग, पीतमपुरा, रानी बाग, उत्तम नगर, तिलक नगर और कई अन्य जगहों सहित शहर भर के बाज़ारों में पारंपरिक छठ पूजा की ज़रूरत की चीज़ें खरीदने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती है। CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि, बिहार और झारखंड के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश में भी छठ पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। इन राज्यों में कई पूर्वांचली रहते हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह त्योहार, जिसमें डूबते और उगते सूर्य दोनों की पूजा की जाती है, भारतीय संस्कृति की समावेशी प्रकृति का प्रतीक है। कैट के अनुसार, छठ पूजा की आवश्यक वस्तुओं जैसे बांस की टोकरी, केले के पत्ते, गन्ना, मिठाई, फल और सब्जियां (विशेष रूप से नारियल, सेब, केला और हरी सब्जियां) की मांग काफी अधिक देखी गई है।
महिलाओं के लिए साड़ी, लहंगा-चुन्नी, सलवार-कुर्ता और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा, धोती सहित पारंपरिक परिधान बड़ी मात्रा में खरीदे जा रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों और लघु उद्योगों को लाभ मिल रहा है। छोटे पैमाने पर उत्पादित हस्तनिर्मित वस्तुओं की भी अच्छी खासी बिक्री हो रही है। CAIT के महासचिव और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इस बात पर जोर दिया कि, “छठ पूजा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जो सामाजिक एकता और समर्पण को दर्शाता है। यह व्यापार को भी बढ़ावा देता है और स्थानीय उत्पादकों को सीधे लाभ पहुंचाता है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को बल मिलता है।” छठ पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले अधिकांश उत्पाद स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा तैयार किए जाते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है।