कोल्हापुर: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चीनी मिलों से जुड़े कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी है। प्रदेश में कई चीनी मिलर्स विधानसभा चुनाव में अपना नसीब आजमा रहे है। इस चुनाव में कोओपरेटिव चीनी मिलों की बिक्री, गन्ना मूल्य, एथेनॉल उत्पादन के साथ साथ इनकम टैक्स का मुद्दा काफी चर्चा में है। 12 नवंबर 2024 को सोलापुर में हुई रैली में पंतप्रधान नरेंद्र मोदी ने चीनी उद्योग और एथेनॉल उत्पादन का मुद्दा उठाकर अन्य पार्टियों के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की। वही दूसरी तरफ पिछले हफ्ते सांगली जिले में चुनाव रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजनैतिक पार्टी की आलोचना करते हुए कहा की, महाराष्ट्र में उस राजनैतिक पार्टी के कार्यकाल में सहकारी चीनी मिलों की संख्या 200 से घटकर 101 रह गई।
भूतपूर्व उपपंतप्रधान यशवंतराव चव्हाण, विठ्ठलराव विखे-पाटील, धनंजयराव गाडगीळ, यशवंतराव मोहिते, बाळासाहेब देसाई, भाऊसाहेब थोरात, तात्यासाहेब कोरे, रत्नाप्पाण्णा कुंभार, नागनाथअण्णा नायकवडी आदि कई बड़े नेताओं के योगदान की बदौलत चीनी उद्योग ने महाराष्ट्र में अच्छी जड़ें जमा ली है। मिलों के खुलने से किसानों की आय बढ़ गई। रोजगार के अवसर खुल गए। जाहिर तौर पर यही किसान फैक्ट्री से जुड़ा और बदले में फैक्ट्री के संस्थापक से भी जुड़ा। चूँकि फ़ैक्टरी के संस्थापक ही चुनाव में खड़े रहने लगे। इस विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश में तीन दर्जन से ज्यादा चीनी मिलर्स अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे है। खासकर पश्चिमी महाराष्ट्र, मराठवाडा की बात की जाये तो चीनी उद्योग के इर्द गिर्द विधानसभा चुनाव की राजनीति घूम रही है।
मौजूदा चुनाव में दर्जनों चीनी मिलर्स अपना नसीब आजमा रहे हैं। सतारा से बाळासाहेब पाटिल, अतुल भोसले, मनोज घोरपडे, प्रभाकर घार्गे, शिवेंद्रसिंहराजे भोसले, मकरंद पाटिल के पास चीनी मिलें हैं। कोई इन फैक्ट्रियों का चेयरमैन है तो कोई डायरेक्टर।सांगली जिले से मानसिंगराव नाईक, संग्रामसिंह देशमुख, विश्वजीत कदम, संजयकाका पाटील, जयंत पाटिल और छह उम्मीदवार बैंकों और कारखानों के निदेशक हैं। कोल्हापुर से के. पी.पाटिल, चंद्रदीप नरके, राहुल पाटिल, राजू आवळे, अमल महाडीक, हसन मुश्रीफ, समरजीत घाटगे, विनय कोरे, राहुल आवाडे, गणपतराव पाटिल, ए. वाई पाटिल, मानसिंग खोराटे, राजेंद्र पाटील आदि सहकारी, निजी चीनी मिलों और अन्य मिलों से जुड़े उम्मीदवार अपना नसीब आजमा रहे हैं। अहिल्यानगर जिले में राधाकृष्ण विखे –पाटील, रोहित पवार चुनाव मैदान में उतरे है।
पुणे जिले में बारह सहकारी और छह निजी चीनी मिल हैं। खेड़ आळंदी और मावल निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा, शेष आठ निर्वाचन क्षेत्रों में ग्यारह चीनी मिलों से संबंधित उम्मीदवार हैं। चुनाव में ‘शुगर बेल्ट’ का दखल निर्णायक होगा। विधायक की राजनीति से पुणे जिले की ‘शुगर बेल्ट’ में हलचल मच गई है। चीनी मिलों के तीन वर्तमान अध्यक्ष और छह पूर्व अध्यक्ष वास्तव में विधानसभा के कुरुक्षेत्र में उतर गये हैं। बारामती निर्वाचन क्षेत्र में सोमेश्वर, मालेगांव में ऊंची कीमतें देने वाली फैक्ट्री के प्रमुख अजित पवार और शरयू एग्रो फैक्ट्री के प्रबंध निदेशक युगेंद्र पवार के बीच कांटे की टक्कर है। आंबेगांव निर्वाचन क्षेत्र में भीमाशंकर के दो पूर्व अध्यक्ष दिलीप वलसे- पाटिल और देवदत्त निकम के बीच राजनीतिक संघर्ष चरम पर पहुंच गया है। दौंड तालुका में भी भीमा पाटस से जुड़े नेता विधायक राहुल कुल और रमेश थोरात के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा है। शिरूर-हवेली निर्वाचन क्षेत्र में विधायक अशोक पवार घोडगंगा चीनी मिल के पूर्व अध्यक्ष हैं और उनका ज्ञानेश्वर कटके से कड़ा मुकाबला है। विघ्नहर मिल के अध्यक्ष सत्यशील शेरकर का जुन्नर विधानसभा क्षेत्र में विधायक अतुल बेनके से मुकाबला है। भोर-वेल्हा-मुळशी निर्वाचन क्षेत्र में, राजगढ़ चीनी मिल के अध्यक्ष और विधायक संग्राम थोपटे को शंकर मांडेकर, कुलदीप कोंडे आदि द्वारा चुनौती दी गई है। इंदापुर में कर्मयोगी चीनी मिल के अध्यक्ष और नीरा-भीमा चीनी मिल के संस्थापक, पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल बनाम छत्रपति चीनी मिल के पूर्व अध्यक्ष, वर्तमान विधायक दत्तात्रेय भरणे के बीच कड़ी लड़ाई चल रही है ।