लखनऊ: चालू गन्ना पेराई सत्र में गन्ने के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में वृद्धि के साथ, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में उच्च मांग वाली नकदी फसल के लिए राज्य सलाहकार मूल्य (SAP) में संशोधन कर सकती है। फरवरी में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 2024-25 के लिए एफआरपी में 8% की वृद्धि की। यह दर मुख्य रूप से 10.25% की चीनी रिकवरी दर के लिए तय की गई है। नया एफआरपी 1 अक्टूबर से लागू हुआ।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि, राज्य सरकार इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक बुला सकती है, जो संभावित रूप से उत्तर प्रदेश में लगभग 45 लाख गन्ना उत्पादकों के हितों को प्रभावित करता है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार SAP के मुद्दे पर सावधानी से चलना चाहती है, जो राजनीतिक रूप से संवेदनशील पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में राजनीतिक प्रभावों से भरा हुआ है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि सरकार इस साल SAP में संशोधन नहीं करेगी, जिसे किसानों के बकाए के भुगतान में चूक करने वाली मिलों का बोझ हल्का करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा की सहयोगी रालोद 400 रुपये प्रति क्विंटल SAP की मांग कर रही है। पार्टी प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने कहा कि, यह पार्टी द्वारा उठाई गई प्रमुख मांग है। उन्होंने कहा, हम किसानों के लंबित बकाए का निपटान करने के लिए गन्ना मिलों के संपर्क में हैं। गौरतलब है कि इस साल जनवरी में ही लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार ने एसएपी में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी।